मालेगांव बम धमाके की आरोपी और बेल पर रिहा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के भाजपा में शामिल होने और भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किये जाने की खबर के बाद मीडिया और सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा में है| भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है| यहां भाजपा समर्थकों ने पूरे उत्साह के साथ उम्मीद जताई है कि अब दिग्विजय सिंह का हारना तय है, वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि अब भोपाल से कांग्रेस की जीत आसान हो गई है|
साध्वी प्रज्ञा मध्य प्रदेश के चंबल इलाके के भिंड में पली बढ़ींं हैं उनके पिता आरएसएस के स्वयंसेवक प्रचारक थे| आरएसएस से उनका झुकाव बचपन से ही रहा है| साध्वी प्रज्ञा बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की सक्रिय सदस्य रहीं है, इनका ताल्लुक़ विश्व हिन्दू परिषद (HVP) की महिला विंग ‘दुर्गा वाहिनी’ से भी रहा है|
हैरानी की बात ये है कि साध्वी प्रज्ञा 2008 के मालेगांव बम धमाके की आरोपी हैं, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी| इस मामले में वह 9 साल तक जेल में थीं और फिलहाल जमानत पर हैं। मालेगांव बम ब्लास्ट से चर्चा में आईं साध्वी प्रज्ञा जमानत पर रिहा होने के बाद अपने विवादास्पद बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं| उनके ऊपर केस चल रहा है और उन्हें अदालत से बरी किया जाना बाकी है, लेकिन अब वे भोपाल जैसे महान शहर से भाजपा की तरफ से अपनी उम्मीदवारी पेश कर रही हैं|
आपको बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट के अलावा साध्वी प्रज्ञा का नाम आरएसएस नेता सुनील जोशी हत्याकांड में भी आ चुका है| अपने भड़काऊ भाषणों की वजह से भी वह सुर्खियों में रह चुकी हैं|
ये वही प्रज्ञा ठाकुर है जिनके पास कभी एक मोटरसाइकिल हुआ करती थी उसी मोटरसाइकिल से ही महारष्ट्र के मालेगाव में हमीदिया मस्जिद के पास धमाका हुआ था| उन पर ये आरोप लगा कि उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल धमाके के लिए दी थी बल्कि इस हमले की साजिश में भी उनके शामिल होने के प्रमाण मौजूद हैं| इसी मोटरसाइकिल की मदद से मुंबई ATS धमाके के असल आरोपियों तक पहुंची थी| उस वक़्त इस मुंबई ATS के चीफ हेमंत करकरे थे, हाँ वही हेमंत करकरे जो मुंबई आतंकियों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए थे जिनकी बहादुरी किस्से हम आज तक सुनते हैं|
प्रज्ञा सिंह, कर्नल पुरोहित आदि की गिरफ्तारी के पीछे पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की बारीक जांच-पड़ताल थी| उन्होंने सुराग इकट्ठे किए और मालेगांव हमले में शामिल लोगों के बीच रिश्तों के तार मिलाते हुए साजिश की साफ़ तस्वीर खींची जिसका प्रज्ञा सिंह, एक अहम हिस्सा साबित हुई थीं| इसके बाद करकरे के खिलाफ भी शिवसेना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठनों ने घृणा अभियान चलाया| यह कहकर कि आखिर हिंदू कैसे आतंकवादी हमले में शामिल हो सकते हैं?
मालेगाव ब्लास्ट की यह घटना किसी बड़े हमले की साजिश का एक छोटा सा हिस्सा थी, ऐसी जगहों पर हमलों की जहां मुसलमान ज़्यादा तादाद में वस्ते हों| अदालत ने कहा था कि इस तरह की साजिश में किसी खुले प्रमाण का मिलना असंभव है| उसके पहले इंडियन एक्सप्रेस को एक इंटरव्यू में सरकारी वकील रोहिणी सालियान बता चुकी थीं कि एनआईए उन पर अभियुक्तों के खिलाफ मामले को कमजोर करने के लिए दबाव डाल रही थी| कुछ समय बाद वे इसी वजह से इस मुक़दमे से अलग भी हो गई थी|
हाल ही में समझौता एक्सप्रेस आतंकवादी हमले के मामले में अभियुक्तों को बरी करते हुए न्यायाधीश ने अफ़सोस जताया था कि एनआईए ने अदालत को सही तरीके सबूत पेश नहीं किए| न्यायाधीश की चिंताजनक टिप्पणी के अनुसार एजेंसी यानी एनआईए ने मामले को कमजोर किया आखिर इतना कमज़ोर कर दिया कि अभियुक्त बरी हो जाएं|
आज बाबरी मस्जिद के ध्वंस को 27 साल हो गए जिसकी चीखें आज भी ज़िंदा हैं| उस दहशत के माहौल का जिम्मा लेने वाले बाल ठाकरे को मौत के बाद राष्ट्रीय सम्मान दिया गया| उसके बाद देश ने बाबरी मस्जिद ध्वंस प्रोपगंडे के नेता को देश का उपप्रधानमंत्री बनते हुए देखा| बाद में गुजरात जनसंहार के आरोपियों को बाइज्जत रिहा होते हुए देखा| मामला यहीं पर नहीं रुका फिर देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री एक ऐसे व्यक्ति को बनाया गया, जो अपने मुसलमान विरोध को खुलकर व्यक्त करता है|
अभी तक भारतीय लोकतंत्र में केवल चोर, डकैत, ठग और माफिया ही चुनाव लड़ते थे लेकिन अब इसी लोकतंत्र में आतंकवाद के आरोपी भी राष्ट्रवाद का मुखौटा पहनकर चुनावी मैदान में कूद रहे हैं जिसका ताज़ा उदहारण प्रज्ञा ठाकुर हैं| तो क्या अब यह कहना उचित होगा कि संसद में ऐसे लोग पहुंच सकते हैं और जो नहीं पहुंचे हैं वो आगे पहुंचेंगे उनको प्रोत्साहन मिलेगा| तो क्या हमें वाकाई प्रज्ञा सिंह के भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रत्याशी चुने जाने पर हैरानी है या होनी चाहिए? बिलकुल नहीं होनी चाहिए भाजपा ने बिलकुल सही उम्मीदवार चुना है, आखिर साध्वी जी संघ परिवार (आरएसएस) की सोच और कामों का एक सटीक उदाहरण हैं|
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा का टिकट इसलिए नहीं मिला कि वे मालेगांव बम धमाके के आरोप से बरी हो गईं, बल्कि इसलिए ही मिला है कि वे इस मामले में आरोपित थीं आखिर राष्ट्रवादी पार्टी की यही तो सबसे बड़ी खासियत है कि यह आतंकियों को भी शुद्ध राष्ट्रवादी बना सकती है| जैसे जेऐनयू में अफ़ज़ल गुरु के समर्थन में नारे लगाने वाले देशद्रोही और अफ़ज़ल गुरु को अपना आइकॉन मानने वाली पार्टी के साथ गठबंधन करने से देशभक्त आखिर यही तो इस पार्टी की ख़ुबसूरती है|
भारतीय जनता पार्टी द्वारा लिंचिंग करने वालों को सम्मान पूर्वक मालाएं पहनाई जाती हैं और आतंकवाद के आरोपितों को पार्टी का टिकट मिलता है, शायद यही सबका साथ, सबका विकास है| अब क्या आने वाले दिनों हम देखेंगे कि बाबू बजरंगी (गुजरात दंगों का आरोपित) और शंभूलाल रैगर को भी टिकट दिया जाएगा?