
12 साल पहले हुए इस ट्रेन धमाके में 68 यात्रियों की मौत हो गई थी। हरियाणा के पंचकूला स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी की स्पेशल कोर्ट ने बीते बुधवार को समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस के मुख्य आरोपी असीमानंद और तीन अभियुक्त को बरी कर दिया गया है। कोर्ट का कहना है कि एनआईए आरोपी के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने में असफल रही। कोर्ट के फैसले के बाद असीमानंद ने जय श्रीराम का नारा लगाया।
वर्ष 2011 नया मोड़ आया जब एनआईए ने जांच शुरू की और इस दौरान 224 गवाहों के बयान दर्ज हुए, और दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े चार लोगों को हिरासत में लिया। इस मामले में आठ आरोपी थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और तीन आरोपी को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। पंचकूला की विशेष एनआईए अदालत ने पाकिस्तान की महिला राहिला वकील की याचिका को खारिज करते हुए सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया। इस धमाके में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों की जान गई थी। मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलकर्मी भी शामिल थे।
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इस फैसले को लेकर पाकिस्तान ने इसकी कड़ी आलोचना की है। पाकिस्तान ने भारत के उच्चायुक्त अजीत बिसारिया का तलब करते हुए असीमानंद को बरी किए जाने पर विरोध दर्ज कराया। एनआईए अदालत ने पाकिस्तानी महिला राहिला वकील की याचिका को सुनवाई को अमान्य बताते हुए बुधवार को खारिज कर दिया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की तरफ से अर्जी देते हुए वकील राजन मल्होत्रा ने बताया कि अदालत ने पाकिस्तानी महिला का आवेदन खारिज कर दिया था।
पाकिस्तान के हफीजाबाद जिले के निवासी एवं विस्फोट का शिकार बने मोहम्मद वकील की बेटी राहिला वकील ने 11 मार्च को अदालत का रुख किया था और अपने देश के चश्मदीदों की गवाही दर्ज किए जाने की मांग की थी। एनआईए के विशेष न्यायाधीश जगदीप सिंह ने महिला एवं एनआईए के वकील की दलीलें सुनने के बाद महिला की याचिका पर फैसला 20 मार्च के लिए सुरक्षित रख लिया था।
18 फरवरी 2007 को भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में बड़ा धमाका क्या गया था जिसमें 68 लोगों की मौत हो गई और 12 घायल हो गए थे। 19 फरवरी 2007 को पुलिस एफआईआर के अनुसार यह धमाका 23:53 बजे दिल्ली से 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दीवाना रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन में हुआ। धमाके से ट्रेन के 2 जनरल कोच में आग लग गई। 20 फरवरी, 2007 को बम धमाके के बाद प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के ‘स्केच’ जारी किया। हरियाणा सरकार ने मामले की एसआईटी से कराने का ऐलान किया। 15 मार्च, 2007 को इंदौर से दो संदिग्ध लोगों को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। समझौता धमाकों के सिलसिले में यह पहली गिरफ्तारी थी।
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कब-कब धमाका हुआ
29 जुलाई, 2010 को धमाके के 3 साल बाद केस को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया। जून, 2011 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 26 जून 2011 को स्वामी असीमानंद समेत 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया, चार्जशीट में स्वामी असीमानंद के अलावा सुनील जोशी, संदीप डांगे, रामचंद्र कालसंग्रा और लोकेश शर्मा का नाम शामिल किया गया। इसमें जबकि संदीप और रामचंद्र अभी भी फरार हैं और सुनील जोशी की 2007 में मध्य प्रदेश के देवास में हत्या कर दी गई थी। जांच के दौरान 290 प्रत्यक्षदर्शियों को शामिल किया गया था। अगस्त 2014 को समझौता ब्लास्ट केस के मुख्य अभियुक्त स्वामी असीमानंद को जमानत मिल गई थी। कोर्ट में एनआईए असीमानंद के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई थी।
15 मार्च, 2019 को पंचकूला बार एसोसिएशन की स्ट्राइक के चलते समझौता ब्लास्ट केस में सुनवाई में दोनों पक्षों के वकीलों की कोर्ट में एंट्री नहीं हो सकी, अदालत ने सुनवाई के लिए 18 मार्च का दिन तय किया था। मार्च, 2019 में फाइनल बहस पूरी हुई और अदालत ने अपना फैसला 11 मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। 20 मार्च, 2019 को समझौता ब्लास्ट केस में सभी चार आरोपी असीमानंद, कमल चौहान, राजिंदर चौधरी और लोकेश शर्मा को पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया।