प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अतिमहत्वाकांक्षी योजना ‘निमामी गंगे‘ के लिए वर्ष 2015 से 2020 के दौरान 20 हज़ार करोड़ खर्च का प्रावधान किया गया है|
फ़रवरी 2014 नरेंद्र मोदी ने काशी में कहा कि वो ‘माँ गंगे’ के बेटे है| जनता ने उन पर भरोसा जताया और बनारस से लोकसभा में उन्हें जिताया भी| 2019 में लोकसभा चुनाव होने है और भाजपा का केंद्र बिंदु गंगा सफाई था, जो 2018 में नदारद हो गया|
पिछलें वर्ष गंगा सफाई और सीवेज उपचार मामलें पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। फैसलें के मुताबिक गंगा सफाई की कमान राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के हाथों में सौंप दी गई।
एनजीटी ने गंगा सफाई प्रोजेक्ट के तहत महत्वपूर्ण फैसला लिया| राष्ट्रीय हरित अधिकरण के मुताबिक हरिद्वार से उन्नाव के बीच 500 किलोमीटर क्षेत्र, गंगा नदी तट से 100 मीटर तक का दायरा ‘नो डेवलपमेंट जोन’ माना जाएगा| इस दाएरे के अंतर्गत किसी भी प्रकार का निर्माण अथवा विकास कार्य नहीं किया जा सकेगा।
फैसले में यह भी कहा गया कि गंगा नदी में किसी भी प्रकार का कचरा फेंकने वाले को 50 हजार रुपया पर्यावरण हर्जाना देना होगा।
गंगा सफाई की स्थति
भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री उमा भर्ती को गंगा सफाई की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी| गंगा सफाई के लिए यात्रा निकाली गई, नावों से निरक्षण किया गया, साथ ही ‘नमामि गंगे’ के तहत 231 प्रोजेक्ट भी लांच किए गए|
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने वादा किया है कि मई 2019 तक गंगा नदी 80 फीसदी साफ़ हो जाएगी लेकिन गंगा की वर्तमान स्थति देख कर ऐसा नहीं लगता|
कैग रिपोर्ट के मुताबिक गंगा सफाई के लिए नोडल बॉडी, स्वच्छ गंगा (एनएमसीजी) राष्ट्रीय मिशन, स्वच्छ गंगा फंड से किसी भी राशि का उपयोग नहीं किया गया|
केंद्र सरकार द्वारा 2014 से लेकर अब तक गंगा सफाई में 3475.46 करोड़ रूपए खर्च किए गए। पिछलें वित्त वर्ष में सबसे ज़्यादा 1625.11 करोड़ रूपए खर्च किए गए।
आरटीआई के मुताबिक 2014 से अब तक कुल 3475.46 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं जबकि 5298.22 करोड़ रूपए जारी किए गए थे।
2014-15 में 170.99 करोड़ रूपए, 2015-16 में 602.60 करोड़ रूपए, 2016-17 में 1062.81 करोड़ रूपए और सर्वाधिक 2017-18 में 1625.11 करोड़ रूपए खर्च किए गए।
वित्त वर्ष 2018-19 में अब तक 13.95 करोड़ रूपए का खर्च नदी की सफाई में किया जा चुका है।
गंगा सफाई पर अब तक 3800 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन सरकार को यह जानकारी नहीं है कि इन पैसों से चलाई जा रही परियोजनाओं से गंगा कितनी साफ हुई है|
गंगा नदी में प्रदुषण का स्तर
गंगा नदी के पथ पर 5 राज्य आते है जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, बिहार और पश्चिम बंगाल है जो प्रदुषण का प्रमुख कारण है| गंगा बेसिन में लगभग 12 हज़ार मिलियन लीटर सीवेज (एमएलडी) उत्पन्न होता है जिसके लिए वर्तमान में केवल 4 हज़ार एमएलडी की उपचार क्षमता है|
गंगा नदी का आधा पानी गंदे नालों का होता है| एक तरफ सरकार गंगा सफाई पर लाखों-करोड़ों खर्च करती है पर गंदगी फैलाने वालों पर कोई कारवाई नहीं होती| शहर के कारखानों और घरों से निकलने वाला प्रदूषित पानी गंगा नदी में मिल जाता है| वर्षो से गंगा सफाई का प्रयास चल रहा है लेकिन अब तक नदी के पानी को साफ़ करने कोई इंतज़ाम नहीं किया गया|
गंगा एक्शन प्लान
- गंगा कार्ययोजना की शुरुआत वर्ष 1985 में वाराणसी से राजीव गांधी ने 900 करोड़ रुपयों से की थी।
- वर्ष 2014 में राजग सरकार के अस्तित्व में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकताओं में गंगा सर्वोपरि है।
- गंगा की साफ-सफाई के लिए वर्ष 1980 में योजनाएं बना ली गई थीं लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में कुछ नतीजा नहीं निकला|
- वर्ष 1985 में गंगा सफाई के लिए शुरू की गई गंगा कार्ययोजना अब बतौर ‘नमामि गंगे’ केंद्र सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं का एक हिस्सा है।
कहा जा रहा था गंगा संरक्षण के नतीजे वर्ष 2018 से आने शुरू हो जाएंगे। पहले यह कहा गया कि वर्ष 2014 से 2016 तक गंगा साफ होने लगेगी। फिर वर्ष 2016 से 2018 तक गंगा साफ़ होने की उम्मीद दी गई। उसके बाद वर्ष 2017 में यह कह गया कि गंगा के लिए वर्ष 2022 तक इंतज़ार करना होगा|

