उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संबंधित कथित आपत्तिजनक सामग्री शेयर करने पर पत्रकार प्रशांत कनोजिया सहित एक टीवी चैनल के संपादक और उसके प्रमुख की ‘गिरफ्तारी’ की एडिटर्स गिल्ड तथा कई मीडिया संगठनों ने निंदा की है। रविवार को उन्होंने पुलिस कार्रवाई की इस कार्रवाई को कानून का दुरुपयोग तथा प्रेस को डराने का प्रयास करार दिया। जानकारी के मुताबिक प्रशांत कनोजिया और अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में कई मीडिया संगठन आज प्रेस क्लब से संसद भवन तक मार्च करेंगे।
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पीटीआई के मुताबिक एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में कहा है की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नोएडा के पत्रकार प्रशांत कनोजिया और नोएडा से संचालित टीवी चैनल नेशन लाइव की संपादक इशिता सिंह और प्रमुख अनुज शुक्ला की गिरफ्तारी की निंदा करती है। पुलिस की कार्रवाई कठोरतापूर्ण, मनमानी और कानूनों के अधिकारवादी दुरुपयोग के समान है। बयान में कहा गया कि गिल्ड इसे प्रेस को डराने-धमकाने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने के प्रयास के तौर पर देखती है।
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एडिटर्स गिल्डने आगे कहा है की महिला के दावे में जो भी सच्चाई हो, इसे सोशल मीडिया पर डालने और एक टीवी चैनल पर प्रसारित करने के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करना कानून का खुल्लमखुल्ला दुरुपयोग है। इंडियन वुमन प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी), प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, साउथ एशियन वुमन इन मीडिया (एसएडब्ल्यूएम, इंडिया) और प्रेस एसोसिएशन ने एक संयुक्त बयान में कहा जिस तरह से स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनोजिया, साथ ही नेशन लाइव टीवी चैनल की संपादक ईशिता सिंह और प्रमुख अनुज शुक्ला को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया है, इसे लेकर हम सभी मीडिया संगठन अपने सामूहिक आक्रोश और नाराजगी को जाहिर करते हैं।
मीडिया संगठनों ने आगे कहा है की इन तीन पत्रकारों के खिलाफ यूपी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई कानून लागू करने के नाम पर प्रशासनिक सख्ती का एक स्पष्ट मामला है। मीडियाकर्मी होने के नाते, यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि पत्रकारों को जिम्मेदारी के साथ आचरण करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर, हमें लगता है कि मानहानि कानून के आपराधिक प्रावधानों को पत्रकारों और अन्य लोगों के खिलाफ बार-बार इस्तेमाल किए जाने को देखते हुए उसे कानून की किताब से हटा दिया जाना चाहिए।