
सोमनाथ चटर्जी को साल 2014 में एक छोटा सेरिब्रल स्ट्रोक पड़ा था, जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती चली गई। देश के लोकप्रिय राजनेता सोमनाथ दा ने अपने अब तक के राजनितिक सफ़र में काफी लोकप्रियता बटोरी थी|
सोमनाथ दा का सियासी सफ़र
देश के लोकप्रिय हस्तियों में शुमार सोमनाथ चटर्जी मशहूर वकील निर्मल चंद्र चटर्जी के बेटे थे| सोमनाथ का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम में तेजपुर में हुआ था, बता दें कि इनके पिता हिन्दू महासभा के भी अध्यक्ष थे| उन्होंने अपनी ब्रिटेन में लॉ की पढाई की और वतन वापस आने के बाद कोलकाता हाईकोर्ट में प्रेक्टिस की, लेकिन राजनीती में अधिक उत्साह और रूचि के कारण अपने करियर की शुरुआत एक राजनेता के रूप में की|
स्वभाव से हंसमुख और बेहद सरल माने जाने वाले सोमनाथ दा ने अपने राजनितिक सफ़र की शुरुआत 1968 में सीपीएम के साथ की और 2008 तक इस पार्टी से जुड़े रहे| 1971 में पहली बार सांसद बने और 10 बार लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुने गए| 4 जून 2004 में जब वे 14वें लोकसभा के रूप में चुने गए तो उनके नाम पर प्रस्ताव कोंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने रखा जिसे सर्वसम्मति के साथ स्वीकार कर लिया गया |
राजनितिक सफ़र की शुरुआत से ही सोमनाथ दा आलोचना की दुनिया से परहेज़ करते रहे परन्तु हाल ही में पंचायत चुनावों पर राज्य निर्वाचन आयोग की आलोचना करते दिखे थे| उन्होंने कहा कि अपने लम्बे राजनितिक कैरियर के दौरान पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान इतनी हिंसा पहले कभी नहीं देखी|
सोमनाथ दा के निधन पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दुख प्रकट करते हुए कहा कि पूर्व सांसद और अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी भारतीय राजनीति के एक मज़बूत नेता थे| उन्होंने हमारे संसदीय लोकतंत्र को समृद्ध बनाया और खुद गरीबों और कमजोर लोगों के कल्याण के लिए एक मजबूत आवाज बनें|
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी ट्वीट कर कहा, ‘मैं 10 बार सांसद रहे और लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन पर दुख प्रकट करता हूं| वह एक संस्था थे| सभी पार्टियों के सांसद उनका बहुत सम्मान और सराहना करते थे| दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ है’|

