HIGHLIGHTS:
- समाजवादी पार्टी ने उत्तरप्रदेश की चर्चित सीट वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बीएसएफ से बर्खास्त तेज बहादुर यादव को चुनावी मैदान में उतारा है|
- इससे पहले समाजवादी पार्टी ने वाराणसी में शालिनी यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था|
- बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में अपना नमंकन दाखिल कर दिया है|
- तेज बहादुर कहते हैं, ‘हम काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से नकली चौकीदार को हराना चाहते हैं, जो लोग फ़ौज पर राजनीति करते हैं हम उन्हें मात देना चाहते हैं|
समाजवादी पार्टी ने उत्तरप्रदेश की चर्चित सीट वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बीएसएफ से बर्खास्त तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा है| सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन तेज बहादुर यादव ने सपा प्रत्याशी के तौर पर वाराणसी सीट से पर्चा दाखिल किया| तेज बहादुर यादव ने पहले इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था|
इससे पहले समाजवादी पार्टी ने वाराणसी में शालिनी यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था| शालिनी कांग्रेस के पूर्व सांसद और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्यामलाल यादव की पुत्रवधू हैं| वह वाराणसी से मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं| शालिनी सपा में शामिल हुई थीं और उसी दिन उनका टिकट फाइनल हो गया था| सूत्रों के मुताबिक तेज बहादुर का पर्चा स्वीकार होते ही 2 मई को नाम वापसी के आखिरी दिन से पहले शालिनी अपना नाम वापस ले लेंगी|
वहीँ, बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना नमंकन दाखिल कर दिया है| नामांकन के एक दिन पहले पीएम मोदी ने सात किलोमीटर लंबा रोड शो किया था जिसमें उन्होंने राष्ट्रवाद, देशभक्ति और सेना का ज़िक्र किया था| वह अक्सर कहते हैं कि उन्होंने सेना को मज़बूत किया, खुली छूट दी जिसकी बदौलत सेना सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक करने में कामयाब रही लेकिन बनारस के इसी चुनावी संघर्ष में मोदी को चुनौती देने के लिए पूर्व फ़ौजी तेज बहादुर यादव अब चुनावी मैदान में उतरा है|
पीएम मोदी के खिलाफ क्यों उतरे तेज बहादुर?
हरियाणा के रहने वाले तेज बहादुर ने आख़िर बनारस को क्यों चुना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे टक्कर क्यों ली यह सवाल पैदा करती है| इसके जवाब में वो कहते हैं कि वो फ़ौज पर राजनीति करने वालों को हराना चाहते हैं|
तेज बहादुर कहते हैं, ‘हम काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से नकली चौकीदार को हराना चाहते हैं, जो लोग फ़ौज पर राजनीति करते हैं हम उन्हें मात देना चाहते हैं| उन्होंने हमारी फ़ौज का नाम बदनाम कर दिया| जिससे जवानों के हौसले कमज़ोर पड़ गए हैं|
कई मौक़ों पर प्रधानमंत्री मोदी भी पिछली सरकारों पर आरोप लगाते हैं कि वो देश की सेना को खुली छूट नहीं देते थे जिसकी वजह से देश में इतने हमले हुए|
इस पर तेज बहादुर यादव कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि देश की सेना ने पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक की| इससे पहले भी सेना ऐसा करती थी लेकिन उस पर राजनीति नहीं की जाती थी| मौजूदा सरकार फ़ौज के काम पर भी राजनीति कर रही है इसलिए इन्हें जवाब देने के लिए हम चुनाव लड़ रहे हैं|
तेज बहादुर यादव ने हाल ही में दावा किया था कि करीब दस हजार पूर्व सैनिक वाराणसी आकर असली चौकीदार के पक्ष में और नकली चौकीदार (पीएम मोदी) के खिलाफ घर-घर प्रचार करेंगे| उन्होंने कहा था, ‘मैं हार-जीत के लिए नहीं, बल्कि पीएम मोदी को आईना दिखाने के लिए चुनाव मैदान में उतरा हूं| जनता को बताऊंगा कि सैनिकों का हितैषी होने का दावा करने वाले पीएम मोदी ने सैनिकों से किया गया एक भी वादा पूरा नहीं किया है| पूर्व सैनिक घर-घर जाकर बताएंगे कि मोदी जी ने सैनिकों का क्या हाल कर रखा है| सच्चाई पता चलने पर पब्लिक हमारे साथ खड़ी होगी|’
कौन है तेज बहादुर
तेज बहादुर ने 2017 में बीएसएफ में मिल रहे खाने को घटिया बताते हुए विडियोज बनाए थे| सोशल मीडिया पर आने के बाद वे सभी विडियोज वायरल हो गए थे, जिसके बाद तेज चर्चा में आ गए| तेज बहादुर ने बताया था कि अफसरों से शिकायत करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं है यहां तक कि गृहमंत्रालय को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कुछ नहीं हुआ| तेज बहादुर के उस वीडियो के बाद सेना सहित राजनीतिक गलियारों में कुछ दिन तक हलचल मच गई थी| इस मामले की जांच हुई, जिसके बाद तेज बहादुर को उनको बर्खास्त कर दिया गया| जनवरी, 2019 में तेज बहादुर के 22 साल के बेटे की संदिग्ध स्थितियों में मौत हो गई थी| वह अपने कमरे में बंदूक के साथ मृत पाया गया था|