
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक याचिका की सुनवाई की जिसमें विशेष अदालतों के निर्माण के लिए दिशा-निर्देश जारी करने को कहा गया। इन अदलतों में उन सांसदों और विधायकों के खिलाफ सुनवाई होगी जिनपर आपराधिक मामले चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में अपना विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। जिसके बाद वह मामले की सुनवाई करेगा। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार को आपराधिक रिकॉर्ड वाले सांसदों और विधायकों का ब्यौरा ना देने की वजह से लताड़ लगाई।
34 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले
गौरतलब है कि साल 2014 के संसदीय चुनाव के आधार पर तैयार हलफनामे में एडीआर ने यह रिपोर्ट दी थी कि लोकसभा के 34 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। साल 2009 की लोकसभा के लिए यह आंकड़ा 30 फीसदी था। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) द्वारा 541 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण के आधार पर रिपोर्ट दिया गया था कि 186 यानी 34 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 112 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 34 ऐसे उम्मीदवार हैं जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया है। हलफनामे के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र से हैं। यहां के 12 ऐसे गणमान्य शख्स हैं। इसके बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और ओडिशा आते हैं। जिन जनप्रतिनिधियों के ऊपर अपराधिक मामले दर्ज हैं, उनमें सबसे बड़ी संख्या भाजपा की है। इस पार्टी के 14 सांसदों, विधायकों के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज हैं। दूसरे नंबर पर शिवसेना है, जिसके 7 जनप्रतिनिधियों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं। तीसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है।
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सबसे ज्यादा मामले यूपी के नेताओं पर
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार सबसे ज्यादा आपराधिक मामले यूपी के जनप्रतिनिधियों पर हैं। यूपी के 248 विधायकों-सांसदों पर कुल 565 आपराधिक मामले दर्ज हैं, इसके बाद केरल का स्थान है जिसके 114 सांसदों-विधायकों पर 533 केस दर्ज हैं। यूपी में सबसे ज्यादा 539 लंबित मामले भी हैं, जिसके बाद 373 लंबित मामलों के साथ केरल का स्थान है। तीसरे स्थान पर तमिलनाडु है जिसके 178 सांसदों-विधायकों पर 402 मामले दर्ज हैं और उनमें से 324 लंबित हैं। मणिपुर और मिजोरम के किसी भी सांसद या विधायक के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नहीं है।
केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट से अभी जानकारी नहीं मिल पाई है कि महाराष्ट्र एवं गोवा के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कितने मामले दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली दो जजों की बेंच ने 1 नवंबर, 2017 को सरकार से यह जानकारी देने को कहा था कि कितने विधायकों-सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की थी कि अपराधों के लिए दोषी साबित हो चुके नेताओं को चुनाव लड़ने से आजीवन प्रतिबंधित कर दिया जाए।
इसके पहले मार्च 2014 में कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों को एक साल के भीतर निपटाया जाए। सरकार ने बताया कि 23 हाईकोर्ट, सात विधानसभाओं और 11 सरकारों से उसे इसके बारे में जानकारी मिली है। लोकसभा सचिवालय, राज्यसभा सचिवालय और पांच विधानसभाओं ने कहा कि उनके पास ऐसी जानकारी नहीं है। दो सरकारों और पांच विधानसभाओं ने कहा कि वे जानकारी हासिल कर रहे हैं।

