
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर बुधवार को ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया| करीब 3000 करोड़ की लागत से बनी 182 मीटर ऊंची यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है| इससे पहले चीन के स्प्रिंग टेंपल में बुद्ध की 153 मीटर ऊंची मूर्ति के नाम पर यह रिकॉर्ड था|
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया का एक अजूबा है| उन्होंने कहा कि सरदार साहब का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था जब ‘मां भारती’ साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतों में बंटी पड़ी थी|
मोदी ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उस दौर में भी निराशावादी थे जो समझते थे कि भारत अपनी विविधताओं से ही बिखर जाएगा, मगर सरदार पटेल ने कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश थे|
पांच जुलाई 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए सरदार साहब ने कहा था-विदेशी आक्राताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी और बैर का भाव ही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है| इस गलती को नहीं दोहराना है| सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों राजे-रजवाड़े ने त्याग की मिसाल कायम की थी| इस त्याग को भी नहीं भूलना चाहिए था|
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जो ये सफर एक पड़ाव तक पहुंचा है उसकी यात्रा 8 वर्ष पहले आज के ही दिन शुरु हुई थी| 31 अक्टूबर 2010 को अहमदाबाद में मैंने इसका विचार सबके सामने रखा था|
एकता की प्रतिमा’ पर पीएम मोदी ने बताया कि इससे आम लोगों के लिए रोजगार के बेहतर अवसर पैदा होंगे जिससे आजीविका में सुधार हो पाएगा| साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा| प्रधान मंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान उस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी, किसानों और स्थानीय लोगों के प्रयासों को भी सराहा। मोदी ने कहा कि आदिवासियों, किसानों और ग्रामीणों का योगदान जिन्होंने एकता की प्रतिमा को बनाने में मदद की, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश ने अपने लिए इतिहास रचा। आज के दिन को इतिहास से कोई नहीं मिटा पाएगा। आज जो हुआ वह इतिहास में हमेशा दर्ज हो गया। कभी नहीं सोचा था अनावरण करने का मौका मिलेगा। मैं भाग्यशाली हूं कि सरदार साहब की इस स्टैच्यू को देश को समर्पित किया।
Related Articles:
- पटेल की प्रतिमा के नीचे ‘आरएसएस पर प्रतिबंध का आदेश भी लगाना चाहिए: कांग्रेस
- नेपाल जा सकते है मोदी, ‘विवाह पंचमी’ के मौके पर पीएम केपी ओली भेजेंगे न्योता
उन्होंने कहा कि यह देशवासियों के लिए ऐतिहासिक और प्ररेणादायक अवसर है। आज जी भरकर बहुत कुछ कहने का मन कर रहा है। पीएम ने कहा, यह एक परियोजना है जिसे हमने उस समय के बारे में सोचा था जब मैं गुजरात के मुख्यमंत्री थे। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाने के लिए पूरे भारत के लाखों किसान एक साथ आए। अपने उपकरण दिए। मिट्टी का हिस्से दिए। इस तरह यह जन आंदोलन बन गया।
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में इसे ‘राजनीतिक रंग’ देने वाले लोगों को पर भी हमला किया| उन्होंने कहा कि एकता की मूर्ति का विरोध करने वाले लोगों पर मुझे हैरानी है| यह मूर्ति इस महान व्यक्ति के देश के सम्मान का प्रतीक है। आगे कहा कि पटेल जैसे महान प्रतीकों की सराहना करते हुए हमें आलोचना भी मिली है। ऐसा लगता है कि हमने एक बड़ा अपराध किया है।
क्या कहा विदेशी मीडिया ने?
पाकिस्तानी अखबार एक्प्रेस ट्रब्यून के मुताबिक, ‘यह प्रतिमा पीएम मोदी की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा लोकप्रीय राष्ट्रीय नेता को हथियाने की मिसाल क्योंकि पटेल कांग्रेस के नेता थें जो इस समय भारतीय संसद में बीजेपी के विपक्ष में बैठती है| जियो न्यूज कहा कि यह भारत में राष्ट्रवादी उत्साह का एक विस्फोट है, ऐसे समय जब भारत में अगले साल आम चुनाव होने हैं तो इस मेगा प्रोजेक्ट के पीछे राजनीतिक उद्देश्य भी है|’
साउथ चाइना पोस्ट ने एएफपी की रिपोर्ट के हवाले से कहा है, ‘मुंबई के समुद्र तट पर बनने वाली छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा बहुत जल्द ही दुनिया की इस सबसे बड़ी प्रतिमा को मात दे देगी|’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह प्रोजेक्ट अलग-थलग पड़े सरदार सरोवर बांध की अनदेखी भी करता है|
बीबीसी ने स्थानीय किसानों की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए एक किसान के हवाले से लिखा, ‘इतनी बड़ी प्रतिमा पर धन खर्च करने के बजाय सरकार को यह पैसा आस-पास के किसानों के कल्याण के लिए इस्तेमाल करना चाहिए|’ बीबीसी के लेख में 2016 के सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि नर्मदा जिला उन निवासियों का घर है जो भूखे पेट जिंदगी गुजार रहे हैं, प्राइमरी स्कूलों में दाखिला लेने वालों की संख्या गिर रही है और इलाके में कुपोषण चरम पर है|
अमेरिकी अखबार ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने लिखा, ‘इस स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए जाना जाएगा, जो लगभग 600 फुट की ऊंचाई में खड़ी भारत की वैश्विक आकांक्षाओं के बारे में उतना ही कहती है जितना कि यह अपने नेता की राजनीतिक अहंकार के बारे में बताती है।’ पोस्ट ने आगे लिखा कि इस 408 मिलियन डॉलर की भीमकाय प्रतिमा आज की राजनीति का दिखावा है। द पोस्ट के अनुसार, मोदी 2019 चुनावों को देखते हुए इस बड़े प्रोजेक्ट से ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।
बता दें कि एकता की यह प्रतिमा गुजरात के नर्मदा जिले में केवडि़या स्थित सरदार सरोवर बांध से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर साधु द्वीप पर बनाई गई है जिसका काम एल एंड टी कंपनी को अक्टूबर 2014 में सौंपा गया था। काम की शुरूआत अप्रैल 2015 में शुरू हुई थी। इसमें 70 हजार टन सीमेंट और लगभग 24000 टन स्टील, तथा 1700 टन तांबा और इतना ही कांसा लगा है।

