फर्जी ख़बरों के खिलाफ कानून बनाने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है| सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज की है| याचिका वकील अनुजा कपूर ने दायर की थी| उनका कहना था कि फ़र्ज़ी खबरों के प्रसार से अराजकता और हिंसा फैल सकती है| इसलिए कोर्ट सरकार को इस मसले पर गाइडलाइन बनाने का निर्देश दे| वकील अनुजा कपूर द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ऐसी खबरों पर रोक लगाने के लिए संबंधित विभागों और उनके अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए| साथ ही गृह मंत्रालय, कानून और सूचना प्रसारण मंत्रालय को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रही फर्जी खबरों से निपटने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया जाए| याचिका में भारत पाक में मौजूदा तनाव के हालात के बीच सोशल मीडिया पर अपुष्ट खबरों की भरमार का जिक्र किया गया है|
‘फेक न्यूज़’ का बाज़ार बन रहा भारत: साइबर विशेषज्ञ
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को हो रहा है| इसी सिलसिले में देश के प्रमुख साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल का कहना है कि सोशल मीडिया पर रणनीति बनाने वालों के लिए भारत बहुत बड़ा बाजार है और वे आगे बढ़ना चाहते हैं| वहीं वे अपने प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी खबरों और प्रचार को फैलने से रोकने में लगातार असफल हो रहे हैं| भारत में फेसबुक ने कई फर्जी पेज और अकाउंट्स बंद कर दिए जो सीधे तौर पर राजनीतिक दलों से जुड़े हुए थे| इनका उद्देश्य अपने आधे–अधूरे और दिग्भ्रमित करने वाले कंटेट से मतदाताओं को प्रभावित करना है|
सिंगापूर में फेक न्यूज़ पर कानून लाने का फैसला किया
हाल ही में सिंगापूर में फेक न्यूज़ के रोकथाम के उद्देश्य से कानून बनाने का एलान किया गया है| कानून के तहत अगर ‘फेक न्यूज़’ से सिंगापुर के हित प्रभावित होंगे तो कंपनियों पर 740,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लग सकता है और व्यक्ति को 10 साल तक की जेल हो सकती है| अधिकारियों का कहना है कि यह कानून बहु जातीय देश में विभाजन को रोकने के लिए झूठी जानकारी के प्रसार पर लगाम कसने के लिए आवश्यक हैं| प्रेस स्वतंत्रता समूहों ने प्रस्तावित कानून की निंदा करते हुए कहा कि यह ऑनलाइन चर्चाओं को दबाएगा| ऐसी ही राय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भी दी है|