सीबीआई बनाम सीबीआई मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया है| फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के आदेश को रद्द करने के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद पर बहाल कर दिया है| अदालत का कहना है कि डीएसपीई अधिनियम के तहत उच्च शक्ति समिति एक हफ्ते के अंदर उनके मामले पर कार्रवाई करने का विचार करें| जब तक उच्च स्तरीय समिति आलोक वर्मा पर कोई फैसला ने ले वह कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकते हैं|
अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को आलोक वर्मा को हटाने के मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता वाली चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था| बता दें कि वर्मा का सीबीआई मुखिया के तौर पर कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है|
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इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है| राहुल ने दावा किया कि सीबीआई प्रमुख को रात एक बजे हटाया गया था क्योंकि वह राफेल मामले की जांच शुरू करने वाले थे| उन्होंने कहा, ”सीबीआई प्रमुख को रात में एक बजे हटाया गया था क्योंकि वह राफेल मामले की जांच शुरू करने वाले थे| अब न्यायालय के फैसले से हमें कुछ राहत मिली है| अब देखते हैं कि आगे क्या होता है|
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के 23 अक्टूबर के फैसले को खारिज करते हुए आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर बहाली की|
- अपने खिलाफ जांच लंबित रहने तक आलोक वर्मा कोई नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे। एक नया आयोग सीवीसी के फैसलों की सुनवाई करेगा|
- कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह वर्मा के मामले को एक सप्ताह के भीतर उच्चाधिकार समिति के सामने पेश करे| इस उच्चाधिकार समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश शामिल हैं|
- कोर्ट ने कहा कि आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने के मामले को चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था| इस समिति में प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता शामिल हैं|
- कोर्ट के इस फैसले से आलोक वर्मा की आंशिक रूप से जीत हुई है जबकि सरकार और सीवीसी को झटका लगा है| पद पर बहाल होने के बावजूद आलोक वर्मा कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकेंगे|
क्या है मामला
सीबीआई के दोनों वरिष्ठ अधिकारी के बीच जंग अक्तूबर 2017 से चल रही थी जो धीरे-धीरे सुर्खियां बटोरती रही थी| लेकिन 15 अक्तूबर को आर-पार की लड़ाई में तब बदल गई जब आलोक वर्मा ने अपने दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कराया और अपने ही मुख्यालय में छापा मारकर एक डीएसपी को हिरासत में लिया|
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मीडिया में यह खबर सुर्खियां बनी और दो अधिकारियों की नाक और साख की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई| आलोक वर्मा के खिलाफ भी जांच कमेटी बैठी और अस्थाना के खिलाफ भी| लगातार चल रही सुनवाई के बाद लगातार कोर्ट में सुनवाई चलती रही और लगातार 12 से अधिक चली सुनवाई के बाद 8 जनवरी 2019 को आलोक वर्मा को बड़ी राहत मिली है|

