तीन तलाक को लेकर लोकसभा में चली लंबी बहस के बाद आखिरकार गुरुवार को ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पास हो गया| इस विधेयक को एक साल से भी कम समय में दूसरी बार लोकसभा से मंजूरी मिली जिसमें मुस्लिम पुरुषों द्वारा महिलाओं को तुरंत तलाक दिए जाने को अपराधिक कृत्य बनाने का प्रावधान है|
सरकार इसे मुस्लिम महिलाओं के लिए ‘इंसानियत और इंसाफ’ बता रही है और इस तर्क को खारिज कर रही है कि यह विधेयक किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए है| वहीँ, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इसके कई प्रावधानों पर आपत्तियां जताई और उन्हें ‘असंवैधानिक’ बताया और दावा किया कि इसका वास्तविक उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं करना है बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करना है| अब इसे राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा| इसके बाद ही यह कानून की शक्ल ले सकेगा| सदन में मौजूद 256 सांसदों में से 245 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया जबकि 11 सदस्यों ने इसका खिलाफ अपना वोट दिया| इसके साथ ही सदन में असदुद्दीन ओवैसी के तीन संशोधन प्रस्ताव भी गिर गए। कई अन्य संशोधन प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं मिली|
भाजपा खुद को मुस्लिम महिलाओं की हिमायती के तौर पर पेश कर रही: आप
लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पारित होने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भाजपा खुद को मुस्लिम महिलाओं की हिमायती के तौर पर पेश कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है| राज्यसभा के सदस्य सिंह ने कहा कि यह समझ से परे है कि भाजपा तीन तलाक पर दंडात्मक प्रावधान के लिए क्यों तुली हुई है जब उच्चतम न्यायालय इस प्रावधान को पहले ही अवैध बता चुका है| सिंह ने कहा, ‘भाजपा इस विधेयक के जरिए खुद को मुस्लिम महिलाओं के हिमायती के तौर पर पेश कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है| उन हिंदू महिलाओं का क्या जो देश भर में दुष्कर्म, हत्या और दहेज हत्या का सामना करती हैं|’
उन्होंने कहा कि यह विधेयक एक टूटे हुए परिवार के फिर से जोड़ने की सभी संभावनाओं को खत्म कर देगा क्योंकि तीन तलाक के जरिए पत्नी को तलाक देने वाला व्यक्ति जेल भेज दिया जाएगा और कभी अपनी पत्नी के पास वापस नहीं जा पाएगा|
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उठाया ये सवाल
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की कार्य समिति के सदस्य एसक्यूआर इलियास ने कहा कि इस विधेयक की कोई जरूरत नहीं थी और इसे आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया है| उन्होंने कहा, ‘यह बेहद खतरनाक विधेयक है जो दीवानी मामले को फौजदारी अपराध बना देगा| एक बार पति जेल चला जाएगा तो पत्नियों और बच्चों की देखभाल कौन करेगा|’ इलियास ने कहा कि लैंगिक न्याय के बजाय यह विधेयक समुदाय के पुरुषों और महिलाओं के लिए ‘सजा’ साबित होगा| उन्होंने सरकार से सवाल पूछा- चार करोड़ महिलाओं ने याचिका पर हस्ताक्षर कर कहा कि वे विधेयक नहीं चाहतीं, तब ये कौन मुस्लिम महिलाएं हैं जो इसे चाहती हैं?
एआईएमपीएलबी की कार्यकारी सदस्य असमा जेहरा ने कहा कि तीन तलाक विधेयक को पारित किए जाने का कदम ‘असंवैधानिक’ है और यह मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप है| उन्होंने कहा कि कानून मंत्री (रविशंकर प्रसाद) बहस में विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे| वे घरेलू हिंसा अधिनियम का उदाहरण दे रहे थे लेकिन यह सभी धर्मों पर लागू होता है| सिर्फ मुस्लिमों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है|
उन्होंने कहा कि इस कदम से परिवार बर्बाद होंगे और दावा किया कि यही सरकार का उद्देश्य है| अखिल भारतीय उलेमा काउंसिल के महासचिव मौलाना महमूद दरयाबादी ने कहा कि जब सरकार ने तीन तलाक को रद्द कर दिया तब इस पर यहां चर्चा क्यों की जा रही है| उन्होंने कहा, ‘सरकार को मुस्लिम महिलाओं और बच्चों के लिए कोष पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिनके पास अपने पति के जेल जाने के बाद आय का कोई स्रोत नहीं रहेगा|’ वहीँ, भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सदस्य जाकिया सोमन ने विधेयक का स्वागत किया और हिंदू विवाह अधिनियम की तर्ज पर मुस्लिम विवाह अधिनियम की मांग कि जो बहुविवाह और बच्चों के संरक्षण जैसे मुद्दों से निपटेगा|
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विधेयक से जुडी ख़ास बातें–
- तीन तलाक पर सरकार सितंबर में अध्यादेश लाई थी| लोकसभा में पास होने के बाद अब इसे राज्यसभा से पास कराना होगा| लोकसभा से ये पहले भी पास हो चुका है लेकिन राज्यसभा में जाकर अटक गया था| ये कानून जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा|
- कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘तीन तलाक विधेयक संविधान के खिलाफ है| यह मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है| लोकसभा चुनाव आ रहे हैं इसलिए उन्होंने हड़बड़ी में लोकसभा में इस विधेयक को पारित कराया|
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘ये कानून सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को रोड पर लाने के लिए है| उनको बर्बाद और कमजोर करना है और जो मुस्लिम मर्द हैं उनको जेल में डालने का है| इस कानून का गलत इस्तेमाल होगा|
- केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘जब सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे थे तो उस वक्त भी कुछ लोगों ने विरोध किया था लेकिन इस देश और इस समाज ने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म किया|
- केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘जनवरी 2017 के बाद से तीन तलाक के 417 वाकए सामने आए हैं| पत्नी ने काली रोटी बना दी, पत्नी मोटी हो… ऐसे मामलों में भी तीन तलाक दिए गए हैं| उन्होंने कहा कि 20 से अधिक इस्लामी मुल्कों में तीन तलाक नहीं है| हमने पिछले विधेयक में सुधार किया है और अब मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है|
- सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले और अन्य संबद्ध मामलों में 22 अगस्त 2017 को 3:2 के बहुमत से तलाक ए बिद्दत की प्रथा को समाप्त कर दिया था|
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक लाया जो दिसंबर 2017 में तो लोकसभा से पारित हो गया लेकिन राज्यषसभा में अटक गया| बाद में सितंबर 2018 में सरकार तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के लिए अध्याेदेश लाई|
- आरजेडी के जय प्रकाश नारायण यादव ने कहा कि यह विधेयक प्रवर समिति को भेजा जाए| दीवानी मामले को आपराधिक बनाया जाना गलत है| पति को जेल भेजने पर परिवार के गुजारे का खर्च कौन देगा? सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नहीं कहा था कि जेल भेज दिया जाए|
- सीपीएम के मोहम्मद सलीम ने कहा कि यह लैंगिक समानता का विषय है| हम समझते हैं कि आज सबसे बड़ी समस्या मुसलमानों की सुरक्षा का है| इसे आपराधिक मामला बनाया जाना ठीक नहीं है|

