गूगल ने आज अपना डूडल वर्ल्ड वाइड वेब यानी (WWW) पर बनाया है। गूगल वर्ल्ड वाइड वेब की आज 30वीं सालगिरह मना रहा है। वर्ल्ड वाइड वेब ने मानव समाज के भविष्य को पूरी तरह से बदल दिया है। 12 मार्च, 1989 को 33 वर्षीय सर टिम बर्नर्स-ली ने अपने बॉस को एक प्रपोजल ‘इंफॉरमेशन मैनेजमेंट: अ प्रपोजल’ सबमिट किया था, जिसके आज हम वर्ल्ड वाइड वेब के नाम से जानते हैं। टिम यूरोपियन सीईआरएन लैब में काम करते थे।
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उनके बॉस ने इस प्रपोजल को देखने के बाद कहा था कि अस्पष्ट है लेकिन एक्साइटिंग हैं। टिम को कभी ये नहीं लगा था कि उन्होंने जो प्रपोजल दिया है, वह आने वाले समय में मानव जगत के भविष्य को इस कदर बदल देगा। टिम अपनी नौकरी के दौरान ब्राउजर प्रोग्राम लिखा करते थे। उन्होंने एचटीएमएल, यूआरएल और एचटीटीपी टेक्नोलॉजी के फंडामेंल लिखे थे। 6 अगस्त को 1991 को उन्होंने वर्ल्ड वाइड वेब पर अपना रिसर्च पेपर जम किया था।
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‘WWW’ ने ऐसे की थी शुरुआत
टिम ने 1980 के दशक से ही इस दिशा में कदम बढ़ाए थे। सर्न लैब में 1984 के दौरान टिम को एक फेलो के तौर पर काम करने का मौका मिला। इस लैब में कई तरह के ढेर सारे कंप्यूटर्स थे, जिनपर अलग-अलग फॉरमैट में डाटा स्टोर किया जाता था। टिम का काम इस लैब में डाटा को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक पहुंचाना था। टिम के दिमाग में तभी यह आया कि क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है, जिससे सारे डाटा को एक साथ पिरोया जा सके। इसके हल के तौर पर ही वर्ल्ड वाइड वेब (www) की शुरुआत हुई। वर्ल्ड वाइड वेब के राइट्स पहले सर्न लैब के पास था जिसे 1992 में सार्वजनिक कर दिया गया। 1993 से इसका एक्सेस पूरी दुनिया को मिल गया। इंटरनेट पर मौजूद किसी भी फाइल का एक्सेस वर्ल्ड वाइड वेब के जरिए ही संभव है।