एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि विदेशों में जमा काले धन की राशि 3.6 बिलियन डॉलर से बढ़कर 490 बिलियन डॉलर के आस पास हो सकता है| सरकार द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि साल 1990 से 2008 तक विदेशों में जमा काला धन 9.41 लाख करोड़ रुपए (216.48 बिलियन डॉलर) है जो कि कुल जमा काला धन का 10 वां हिस्सा है|
इस राशि का अध्ययन एनआईएफएम द्वारा अगस्त 2014 में किया गया था जब संस्थान ने यूपीए सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी|
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन के अनुसार, 1980 से 2010 के बीच भारत के बाहर जमा काला धन 384 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 490 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच था| यह रिपोर्ट जुलाई 2014 में सरकार को सौंपी गई थी|
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एनसीएईआर की रिपोर्ट के अनुसार, ‘अगर कैपिटल आउटफ्लो (स्टॉक) 498 बिलियन अमेरिकी डॉलर है तो उस हिसाब से कुल अनगिनत धन में इसकी हिस्सेदारी 2.8% आंकी जा सकती है.’
तीसरा अध्ययन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) द्वारा किया गया है| जिसमें कहा गया है कि साल 1997-2009 के दौरान देश से बाहर गए अवैध वित्तिय प्रवाह, 7.4 प्रतिशत जीडीपी का केवल 0.2 प्रतिशत था| यह रिपोर्ट दिसंबर 2013 में प्रस्तुत की गई थी|
2009 में आई एक रिपोर्ट में, वित्त मामलों पर बनी स्थायी समिति ने सुझाया कि मंत्रालय को अवैध इनकम का गहन मूल्यांकन या सर्वेक्षण करना चाहिए|
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अक्टूबर 2010 में, तत्कालीन वित्त मंत्री ने उपर्युक्त संस्थानों द्वारा किए जाने वाले इन अध्ययनों के लिए सहमति प्रदान की| उनके रिफरेंस के हिसाब से देश के अंदर और बाहर दोनों जगह जमा काला धन का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए|
उन्होंने दिसंबर 2013 और अगस्त 2014 के बीच सरकार को रिपोर्ट सौंपी, लेकिन इन रिपोर्टों को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया| उन्हें 2017 में वित्त समिति के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली के साथ साझा किया गया था जिन्हें समिति सदस्यों के साथ साझा करने से कथित रूप से ‘प्रतिबंधित’ किया गया था|
काले धन की अनुमानित राशि पर किए गए इन अध्ययनों को मुख्य आर्थिक सलाहकार के पास भेजा गया था| जिसमें उन्होंने पाया कि ‘आंकड़ों में बहुत ज़्यादा विविधता’ (जीडीपी के संबंध में गैर अनुमानित इनकम का प्रतिशत) थी|