
भारत के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को अपनी सीमा के करीब स्थित सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल करतारपुर कॉरिडोर का शिलान्यास किया। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी वहां पहुंचे हुए हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और हरसिमरत कौर बादल अटारी-वाघा बॉर्डर से इस कार्यक्रम में शामिल होने पाकिस्तान पहुंचे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि मैं इस यात्रा का हिस्सा बनकर सुखद महसूस कर रहा हूं। सालों बाद आज में करतारपुर साहिब के दर्शन करुंगा और इसके लिए मैं दोनों देशों का आभारी हूं।
हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि हमारी पार्टी पिछले 7 महीने से इस कॉरिडोर की तैयारी कर रही थी| ये बाबा नानक का चमत्कार है| उन्होंने कहा कि दोनों देशों की कड़वाहट मिटाने के लिए इस कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है| यह कॉरिडोर हर एक को जोड़ेगा|
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शिलान्यास के बाद नवजोत सिंह काफी जोश में नजर आए और उन्होंने इस मौके पर कहा कि मैं यहां नानक साहब का पैगाम लेकर आया हूं। इसी बीच उन्होंने एकबार फिर से इमरान खान को धन्यवाद कहते-कहते दिलदार भी कहा। सिद्धू ने इमरान खान की तारीफ के पुल बांधे और कहा कि इस ऐतिहासिक कॉरिडोर के बारे में जब भी लिखा जाएगा तो पहले पन्ने पर इमरान खान का नाम लिखा जाएगा।
वह बोले मैं करतारपुर कॉरिडोर में बहुत बड़ी संभावना देखता हूं। यह दो देशों को मिलाने वाला और लोगों को जोड़ने वाला कॉरिडोर है।
सिद्धू ने लगे हाथों दोनों देशों को नसीहत भी दे डाली और कहा कि दोनों देशों को यह समझना होगा कि हमें अब आगे बढ़ जाना चाहिए। उन्होंने इस दौरान अपने पिता को याद करते हुए कहा कि जब मैं छोटा था तब पंजाब मेल लाहौर तक जाती थी, लेकिन मेरा मानना है कि यह ट्रेन पेशावर तक जानी चाहिए, अफगानिस्तान तक जानी चाहिए।
वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को कहा कि करतारपुर गलियारा पहल का पाकिस्तान के साथ बातचीत से कोई लेना-देना नहीं है और पाकिस्तान जब भारत में आतंकवादी गतिविधियां बंद कर देगा तभी उससे बातचीत शुरू होगी। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि दि्वपक्षीय बातचीत और करतारपुर कॉरिडोर दोनों अलग-अलग हैं| भारत सरकार पिछले 20 साल से इस कॉरिडोर के बारे में पाकिस्तान से बातचीत कर रही है| पाकिस्तान ने पहली बार सकारात्मक जवाब दिया |
भारत इस गलियारे की लंबे समय से मांग करता रहा है, जिससे भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीजा के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब तक आ जा सकें। सुषमा स्वराज ने कहा ‘लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस कदम भर से द्विपक्षीय वार्ता शुरू हो जाएगी। आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती’|

