
भारत का दसवां सबसे बड़ा राज्य छत्तीसगढ़ देश भर के प्रसिद्ध राज्यों में शुमार है | हाल में जब छत्तीसगढ़ पुलिस वेबसाइट का विश्लेषण किया गया तब प्रशासन के ढीले रवैयें का मालुम हुआ| छत्तीसगढ़ पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक चौंका देने वाले तथ्य सामने आए जिस पर यकीन करना मुश्किल है| रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य के हर 27 जिलों के थानों में हजारों की तादाद में लावारिस लाशें दफ्न है| प्रदेश के हर जिलों के थानों में ऐसे लावारिस लाशों की भरमार है जिसकी शिनाख्त अब तक नहीं हो पाई है | इन लाशों के न परिवार वालों की खबर है और न प्रशासन की ओर से मृतक के परिवार वालों तक शवों को पहुंचाने की पहल की गई|
प्रशासन की लापरवाही, 5 हज़ार से ज्यादा शव अज्ञात
यह बात सामान्य है कि जब किसी हादसे में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब उसके शव की छानबीन कर परिवार वालों को सौंप दी जाती है लेकिन यहाँ शवों की लिस्ट इतनी लम्बी है जो प्रशासन की लापरवाही बयां करती है और कई सवाल भी खड़े करती है| छत्तीसगढ़ पुलिस रिपोर्ट 2017 के आंकड़ों के मुताबिक जिलों में अज्ञात शवो में पांच हज़ार से भी ज्यादा शव अपनी पहचान की तलाश में है वहीँ 39 हज़ार से भी ज्यादा व्यक्ति गुमशुदा है | आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ का एक मात्र जिला जगदलपुर, जहाँ इससे सबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं मिला जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि अन्य जिलों की अपेक्षा जगदलपुर की हालत बेहतर है| इसके अलावा जांजगीर-चांपा, बिलासपुर, दुर्ग,रायपुर, रायगढ़. अंबिकापुर, कोरबा और महासमुंद में सबसे अधिक व्यक्तियों के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है वहीँ अज्ञात शवों के मामलों में बलौदाबाजार, बेमेतरा, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, रायगढ़ और राजनंदगाँव में सर्वाधिक है|
आंकड़ो के अनुसार, राजधानी रायपुर में अज्ञात शवों की संख्या सबसे अधिक है जिसकी कुल संख्या 635 है जिनके ना परिवार वालों का आज तक पता लग पाया और ना शवों की कोई जानकारी मिल पाई है वहीँ, गुमशुदा की सूची में दुर्ग नंबर वन पर है जिसमें 4219 व्यक्ति गुमशुदा है| आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं की अपेक्षा पुरुषो की लिस्ट लम्बी है जिसमें अधिकतर 35-40 आयु वर्ग के लोग है|
प्रशासन पर खड़े होते सवाल
सवाल यह खड़ा होता है कि इन शवों और गुमशुदा हुए लोगों को आज तक अपना परिवार क्यूँ नही मिल पाया? यह बात आम है कि जब कोई लावारिस लाश कही पड़ी मिलती है तो उसकी जांच होती है साथ ही अखबारों और टीवी. के ज़रिए मृत्यु या गुमशुदा की खबर बताई जाती है लेकिन हज़ारों की संख्या में ज़मीन में दफ्न लाशों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया|ज़मीन में दफ्न लाशें भी मनुष्य की है लेकिन सवाल यह है कि इनकी छानबीन क्यूँ नहीं की जा रही ? प्रशासन मौन क्यूँ है?
छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन का बयान
इस मामले में जब छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर के रेलवे पुलिस प्रशासन से बात की गई तब उनके बयान भी चौंकाने वाले थे| पुलिस प्रशासन का कहना है कि लावारिस लाशो में अधिकतर गरीब और बेसहारा लोग होते है जिनका इस दुनिया में कोई परिवार नहीं होता| ये लाशें रेलवे पटरियों या प्लेटफार्म, बस स्टैंड या सड़क किनारे एवं धर्मशालों से बरामद की जाती है और इनके शिनाख्त के लिए अखबारों और स्थानीय न्यूज़ चनेलों की भी मदद ली जाती है लेकिन बावजूद इसके मृतक की पहचान और तलाश के लिए कोई नहीं आता|
प्रशासन ने यह भी बताया कि शवों का अपमान न हो इसके लिए बरामद हुए अज्ञात शवों को शहर के ज़िला अस्पतालों के मरचुरी में रखा जाता है जिसमें 3 दिन से ज्यादा परिवार का इंतज़ार नहीं किया जाता जिसके बाद इन शवो को दफना दिया जाता है| आगे पुलिस प्रशासन का यह भी कहना है कि लावारिस लाशो के कफन-दफ़न का कार्य शहर में संचालित ‘आस्था’ नाम की संस्था करती है और यदि कोई व्यक्ति या पुलिस विभाग अपनी स्वेक्षा से दफ़न करना चाहे तो उसके लिए संस्था की ओर रकम भी अदा की जाती है|
इसी वर्ष इससे जुड़ी हरियाणा की एक खबर सामने आई थी जिसमें वहां के रेलवे पुलिस प्रशासन ने लावारिस लाशों की प्रदर्शनी लगाई थी| इस प्रदर्शनी में पिछले चार सालों में रेलवे पटरियों और प्लेटफार्म में मिले अज्ञात शवों की तस्वीरें लगाई गयी थी| इस प्रदर्शनी में लगभग ढाई हज़ार अज्ञात शवों की तस्वीरें थी और अपने प्रियजनों की तलाश में सेकड़ों लोग वहां पहुंचे थे | यह हरियाणा रेलवे पुलिस प्रशासन की अनूठी पहल थी परन्तु छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन की संवेदनहीनता और लापरवाही इस बात से साबित होती है कि अज्ञात शवों को उनके परिवार वालों को सौपने की दिशा में कोई प्रयास नही किया जाता|

