
लोकसभा में ट्रिपल तलाक विधेयक पर रोक को लेकर हुई बहस के बाद यह मामला फिर से सुर्ख़ियों में छा गया है| दरअसल, लोकसभा में पिछले हफ्ते जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 चर्चा के लिए लाया गया तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया कि इस पर अगले हफ्ते चर्चा कराई जाए| इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी| इस पर खड़गे ने कहा, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए| हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे| हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं|
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह इस्लाम धर्म से संबंधित मामला नहीं यह एक सामाजिक कुरीति है| इसी तरह से सती प्रथा और बाल विवाह को भी खत्म किया गया था| इस्लामिक देशों ने दशकों पहले तीन तलाक की कुरीति को खत्म कर दिया है|
नारी सम्मान और गरिमा के लिए है विधेयक: रविशंकर प्रसाद
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सदन में चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक किसी धर्म, संप्रदाय के खिलाफ नहीं बल्कि नारी सम्मान और उसकी गरिमा के लिए है| उन करोड़ों बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए है जो तीन तलाक की तलवार के नीचे जीवन यापन कर रही हैं|
प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक इंसानियत के लिए है| विधेयक पहले भी लोकसभा में चर्चा के बाद पारित हो चुका है किंतु राज्यसभा में यह कुछ कारणों से अटक गया| उस वक्त विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक को लेकर कुछ सुझाव दिए थे, जिनका इस नए विधेयक में ख्याल रखा गया है| केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन इस नए विधेयक में अब न्यायाधीश के पास पीड़ित का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा| नए विधेयक में किए गए संशोधनों के अनुसार मुकदमे से पहले पीड़ित का पक्ष सुनकर न्यायाधीश आरोपित को जमानत दे सकता है|
विपक्ष का वार
ट्रिपल तलाक पर हुई बहस में विपक्ष ने सरकार के समक्ष अपनी बात रखी और कहा अगर तलाक अवैध है तो मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देना और बच्चे की कस्टडी विरोधाभासी है क्योंकि महिला की शादी अब भी बरकरार है, इसलिए हमारी यह मांग है कि इस बिल को जाइंट सिलेक्शन कमिटी को भेजा जाए| इस पर खड़गे ने कहा कि हम सदन चलाने में पूरा सहयोग करना चाहते हैं लेकिन आप सरकार को निर्देशित करिए कि वह राफेल मामले की जांच के लिए जेपीसी का गठन करे|
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार तीन तलाक से संबंधित विधेयक पहले भी संसद में पेश कर चुकी है| लोकसभा से पारित होने के बाद वह विधेयक राज्यसभा में रुका पड़ा है| राज्यसभा में उक्त विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है और विपक्ष विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई थी| इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने विपक्ष की ओर से सुझाए गए कुछ संशोधनों को स्वीकार करते हुए गत सितम्बर माह में तीन तलाक को गैरकानूनी बताते हुए एक अध्यादेश जारी किया था|
यह अध्यादेश अभी अस्तित्व में है| सरकार ने इस अध्यादेश के आधार पर ही आधारित एक नया विधेयक शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किया है|

