
जापान सरकार के एक पैनल ने चेतावनी दी है कि देश को एक बार फिर भयावह सुनामी का सामना करना पड़ सकता है | इस बार सुनामी आई तो लहरें 30 मीटर यानी 98 फीट से ज्यादा ऊंची उठेंगी | ये सब होगा एक जोरदार भूकंप के आने के बाद. पैनल ने कहा कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 हो सकती है|
भूकंप और सुनामी पर काम करने वाले एक्सपर्ट्स ने कहा कि भूकंप प्रशांत महासागर के नीचे धरती की प्लेटों में कभी भी आ सकता है | इसकी वजह से जापान का होकाइडो और इवाते परफेक्टर सुनामी की चपेट में आ सकते हैं | वहीं जापान सरकार के एक पैनल ने कहा है कि देश को एक बार फिर खतरनाक सुनामी का सामना करना पड़ सकता है। चेतावनी दी गई है कि इस बार यदि सुनामी आई तो लहरें 30 मीटर यानी 98 फीट से ज्यादा ऊंची उठेंगी और ये सब एक जोरदार भूकंप के आने के बाद होगा। इसके साथ ही पैनल ने कहा है कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 हो सकती है | जापान के टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर को (TEPCO) ने देश में फिर से सुनामी आने की चेतावनी दी है | बुधवार को टेप्को ने सरकारी रिपोर्ट का आकलन करते हुए बताया कि देश को फिर से खतरनाक सुनामी का सामना करना पड़ सकता है जिसका प्रभाव फुकुशिमा न्यूक्लियर स्टेशन पर भी पड़ेगा |
9 साल पहले 2011 में भी भयंकर भूकंप और सूनामी से यह स्टेशन बहुत प्रभावित हुआ था | जापान के सरकारी पैनल ने बताया कि महाभूकंप जापान और कुरिल ट्रेंच के उत्तरी हिस्से में आने की आशंका है | इससे जापान का उत्तरी हिस्सा प्रभावित हो सकता है | बता दे 1 मार्च 2011 को जापान के समय अनुसार दोपहर 2:46 बजे 9.0 तीव्रता से भूकंप आया था। जहां 6 मिनट का ये भूकंप इतना भयंकर था कि इससे पृथ्वी के घूमने की रफ्तार से लेकर उसकी धुरी पर भी इसका असर पड़ा। दुनियाभर के सबसे शक्तिशाली भूकंप में से एक माना जाता है। वहीं बता दे कि इस भूकंप के कुछ घंटों बाद एक ऐसी सुनामी आई जिसमें 15 हजार के करीब लोगों की जान चली गई थी। पहले से ही 2011 में आई भयंकर सुनामी के कारण फुकुशिमा न्यूक्लियर स्टेशन प्रभावित हुआ । वहीं अब एक बार फिर टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर को जापान में सुनामी आने की चेतावनी दी है। बता दे कि बुधवार को टेप्को ने सरकारी रिपोर्ट के आकलन के दौरान पता चला कि देश में एक बार फिर खतरनाक सुनामी आ सकती है। जिसका प्रभाव फुकुशिमा न्यूक्लियर स्टेशन पर भी पड़ेगा।
सरकारी पैनल की तरफ से यह भी कहा गया है कि जापान में हर 300 से 400 साल के बाद महाभूकंप और महासुनामी आती है। इससे पहले 17वीं सदी में आई थी और अब फिर से वो समय आ गया है। पैनल ने बताया कि जापान का ट्रेंच होकाइडो द्वीप से दूर जा रहा है | यह शीबा परफेक्चर की तरफ बोसो प्रायद्वीप की तरफ बढ़ रहा है | जबकि, कुरिल ट्रेंच जापान के तोकाची द्वीप से खिसक कर रूस के पूर्वोत्तर की तरफ कुरिल द्वीप की तरफ बढ़ रहा है | जापान के नीचे मौजूद दोनों ट्रेंच में हो रही इस भौगोलिक घटनाओं से भूकंप और सुनामी आने की आशंका है |
