सीएसडीएस-लोकनीति, द हिंदू-तिरंगा टीवी-दैनिक भास्कर ने लोकसभा चुनाव से पहले प्री-पोल सर्वे किया जिसमें 19 से 24 मार्च के बीच 19 राज्यों में लोगों ने बेरोज़गारी को प्रमुख आर्थिक चिंता के रूप में बताया गया है जो आर्थिक मंदी और कृषि संकट के संकेत को दर्शाता है| वहीँ, अर्थव्यवस्था को अच्छी स्थिति में देखने वाले लोगों में से प्रत्येक तीन में से दो भाजपा सरकार को एक और कार्यकाल देने के पक्ष में पाए गए|
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सर्वे के दौरान जब लोगों से पूछा गया कि क्या मोदी सरकार के तहत रोजगार के अवसर पिछले पाँच वर्षों में बढ़े या घटे हैं तब 46 फीसदी लोगों ने कहा कि रोजगार घट गए है जबकि 25 फीसदी लोगों का कहना था कि रोजगार के अवसर बढे है| मई 2014 में एक तिहाई (33%) ने यूपीए के तहत रोजगार के अवसरों में कमी की रिपोर्ट की थी और एक-पांचवें (19%) में वृद्धि बताई थी|
अगर देखे तो एनडीए की सरकार में नौकरियों के अवसर पैदा करने के मामले में यूपीए की स्थति बेहतर थी| देश के युवा और शिक्षित मतदाता मतदाताओं में नौकरी की कमी सबसे बड़ी चिंता के रूप में पाई गई|
जब किसानो की बात आई तब सर्वेक्षण में पाया गया कि ‘किसानों का मुद्दा’ जो बहुत वास्तविक है, किसानों का थोड़ा अधिक अनुपात केंद्र सरकार और उनकी राज्य सरकार को उनकी दुर्दशा के लिए दोषी ठहराते हुए पाया गया| इससे उनके बीच मोदी सरकार की कोई मजबूत भावना नहीं पैदा हुई|
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किसानों के बीच सरकार समर्थक भावना उत्तर और पूर्वी भारत में सबसे मजबूत और दक्षिण भारत में सबसे कमजोर पाई गई| इसके अलावा, जब उनसे पूछा गया कि मतदान करते समय उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्या होगा, तब केवल 6 प्रतिशत लोगों ने खेती से संबंधित मुद्दों को सबसे महत्वपूर्ण समस्या बताया|
लोकसभा सभा चुनाव की तारीख अब नजदीक है जिसमें देश की ज़मीनी मुद्दों की समस्या अभी भी बनी हुई है| मोदी सरकार और विपक्षी दलों के बीच विशेषकर कांग्रेस की सरकार में कांटे की टक्कर हो रही है| जहाँ एक ओर मोदी सरकार का कांग्रेस पर हमला जारी है वहीँ, कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र पेश कर चुकी है जिसमे देश के पांच बड़े मुद्दों को केंद्रित किया गया है|