इंफ्रास्ट्रक्चर पर दिया जाएगा जोर
- आएगी नई शिक्षा
- महिलाओं के लीडरशिप में होगा काम
- एनपीए हुआ कम
- हाउसिंग फाइनेंस अब आरबीआई की निगरानी में
- घर खरीदने पर साढ़े तीन लाख की छूट
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की ओर से शुक्रवार को संसद में पेश की गई 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री के विज़न को मूर्त रूप देने की रणनीति का ब्लू प्रिंट पेश किया गया है।
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विश्लेषण का मुख्य विषय 2024-25 तक देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सतत आर्थिक विकास को गति देना है। समीक्षा में कहा गया है कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को 8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ना होगा। आर्थिक विश्लेषण में अर्थव्यवस्था को समृद्ध या गतिहीन समझने के पारम्परिक सोच से हटकर देखा गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि आर्थिक विकास मांग, निर्यात और रोजगार के अवसर बढ़ाने जैसी बातों को आर्थिक विकास के लिए अलग जरूरतों के रूप में देखे जाने की बजाए सम्रग कारकों के रूप में देखा जाना चाहिए। प्रकाशित विश्लेषण के कवर पेज के डिजाइन के माध्यम से वृहद आर्थिक कारकों के बीच परस्पर संबंधों को दर्शाया गया है। समीक्षा रिपोर्ट ‘ब्लू स्काई थिंकिंग’ की परिकल्पना पर आधारित है, जिसमें भारत के लिए एक व्यवहारिक अर्थव्यवस्था का मॉडल तैयार करने की सोच परिलक्षित होती है।
विश्लेषण रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के परिप्रेक्ष्य में अर्थव्यवस्था को बुरी या अच्छी अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता रहा है लेकिन अब यह सोच बदल गई है। मांग, रोजगार, निर्यात जैसे विभिन्न आर्थिक चुनौतियों से अलग-अलग निपटने की रणनीति को छोड़कर इन्हें अब समग्र रूप में देखा जा रहा है। इसलिए निवेश और खासतौर पर निजी निवेश को विकास का प्रमुख कारण मानते हुए मांग, रोजगार और निर्यात में वृद्धि के लिए इसे अहम माना जा रहा है।
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विश्लेषण में कहा गया है कि अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में भविष्य की सोच, उसे मूर्त रूप देने तथा उसके लिए एक सतत रणनीति बनाना तीन महत्वपूर्ण बाते है। प्रधानमंत्री की देश के भविष्य को लेकर एक सोच है। आर्थिक समीक्षा 2018-19 में उनकी सोच को मूर्त रूप देने के लिए प्रभावी रणनीति का ब्लू प्रिंट पेश किया गया है। इस ब्लू प्रिंट में लोगों को एक रोबोट की बजाए मानवों के रूप में देखने, जन कल्याण के लिए जरूरी आंकड़े इकट्ठा करने, अनुबंध व्यवस्था को लागू करने के लिए, न्याय व्यवस्था को सशक्त बनाने और नीतियों में निरंतरता सुनिश्चित करने सहित कई ऐसी बातों पर विचार किया गया है। इस साल की आर्थिक समीक्षा में लैंगिक समानता के लिए, स्वस्थ और सुंदर भारत, बचत, कर अनुपालन तथा सबके लिए ऋण की उपलब्धता जैसे मुद्दों का समाधान आर्थिक व्यवहार्यता के माध्यम से करने की कोशिश की गई है।