जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद भारत से ज्यादा विरोध पाकिस्तान में हो रहा है। पाकिस्तान इस संबंध में भारत पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का दबाव बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान की लगातार मिन्नत के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) शुक्रवार को कश्मीर मुद्दे पर एक क्लोज डोर बैठक करने जा रही है।
बंद कमरे की बैठक की प्रसारण नहीं किया जाएगा। वहां कोई भी पत्रकार नहीं होंगे। राजनयिक ने बताया कि चीन चाहता था कि गुरुवार को ही इस मसले पर विचार-विमर्श हो, लेकिन पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार, इस दिन कोई बैठक नहीं होने वाली थी इसलिए बैठक शुक्रवार को होगी। पाकिस्तान ने यूएनएससी प्रेसीडेंट को 13 अगस्त को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें तनाव बढ़ने से रोकने के लिए अर्जेंट बैठक की मांग की थी। चीन ने पाकिस्तान का साथ देते हुए अनौपचारिक बैठक की मांग की. आपसी सलाह के लिए बुलाई गई इस अनौपचारिक बैठक में यूएनएससी के सभी स्थायी (5) और अस्थायी (10) सदस्य भाग लेंगे।
कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान ने यूएनएससी से कश्मीर मसले पर बैठक बुलाने की मांग की थी। दरअसल, अनुच्छेद 370 और 35ए के प्रावधानों के तहत ही जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। सुरक्षा परिषद में शामिल चीन को छोड़कर बाकी सभी चारों स्थायी सदस्यों ने प्रत्यक्ष तौर पर नई दिल्ली के इस रुख का समर्थन किया है कि यह विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसला है।
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पाक-चीन ने लिखा था पत्र
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार रात कहा था कि उन्होंने कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है। पाक विदेश मंत्री कुरैशी ने कश्मीर मसले पर पत्र लिखते हुए अनुरोध किया था कि इस मामले पर तुरंत एक आपातकालिक बैठक बुलाई जाए। वहीं पाकिस्तान के दोस्त चीन ने भी उसकी यह बात मानते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) से बैठक बुलाने की मांग की। बैठक में चीन ने जम्मू-कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की शिकायतों को सुनी जाने की बात कही है। चीन की तरफ से आधिकारिक तौर पर पोलैंड को यह खत लिखा गया है।
यूएनएससी में पोलैंड अगस्त महीने का काउंसिल चेयरमैन है, इसलिए किसी भी बैठक को बुलाने के लिए उसकी मंजूरी जरूरी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि यदि भारत इसी तरह आक्रामक रुख बनाए रखता है तो पाकिस्तान चुप नहीं बैठेगा। अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस। जयशंकर भी चीन गए थे, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग ली के साथ द्विपक्षीय वार्ता करते हुए जम्मू-कश्मीर पर भारत की स्थिति साफ की थी। जयशंकर ने तब साफ कहा था कि भारत ने जो फैसला लिया है वह उसका आंतरिक मामला है और इससे ना चीन-ना पाकिस्तान किसी की सीमा पर असर पड़ता है। तब चीन ने भी ऐसी ही हामी भरी. हालांकि अब चीन पलटते हुए यूएनएससी में मसले पर चर्चा के लिए पत्र लिख डाला।
आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई द्विपक्षीय मुलाकात में स्पष्ट किया था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का फैसला भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा था कि यह बदलाव बेहतर प्रशासन और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए है एवं फैसले का असर भारत की सीमाओं और चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नहीं पड़ेगा।
इससे पहले शाह महमूद कुरैशी ने स्वीकार किया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ मुहिम चलाने में उसे कामयाबी नहीं मिल रही। बकरीद के मौके पर पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद में कुरैशी ने कहा था कि हमें मूर्खों के स्वर्ग में नहीं रहना चाहिए। पाकिस्तानी और कश्मीरियों को यह जानना चाहिए कि कोई आपके लिए नहीं खड़ा है। आपको जद्दोजहद का आगाज करना होगा।
पाकिस्तान विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में कोई भी हार लेकर नहीं खड़ा है, हमें इसके लिए संघर्ष करना होगा। यूएनएससी के 5 स्थायी सदस्यों में से एक भी हमारे खिलाफ जा सकता है। पाकिस्तान की ओर से चीन से लेकर अमेरिका तक इस मसले पर अपने पक्ष में करने की कोशिश की गई, लेकिन उसकी नहीं सुनी गई। पाकिस्तान ने अपने करीबी दोस्त चीन से भी गुहार लगाई और वहां भी निराशा ही हाथ लगी।
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आईओसी ने नहीं दिया साथ
मुस्लिम देशों के संगठन आईओसी ने भी जम्मू-कश्मीर के मसलों को आंतरिक मामला बताया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि दुनिया को यह स्थिति समझाना आसान नहीं है, क्योंकि कई देशों के भारत में निवेश हैं। इसलिए कश्मीर और पाकिस्तान के लोग इस मिशन को आसान ना समझें। अभी तक हर ओर से पाकिस्तान को कश्मीर मसले पर भारत को चुनौती देने की रणनीति नाकाम हुई है। अब यूएनएससी की क्लोज डोर बैठक में कश्मीर मसला पर चर्चा होने जा रही है, लेकिन अब तक जिस तरह से वैश्विक प्रतिक्रिया सामने आई है और भारत ने संविधान के दायरे में काम किया है, ऐसे में लगता है कि पाकिस्तान को यहां भी मुंह की खानी पड़ेगी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाते हुए उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा रोड़ा बताया। कुरैशी ने कहा कि मोदी ने चुनाव जीतने के लिए कश्मीर को दांव पर लगा दिया। फरवरी में चुनाव जीतने के लिए मोदी ने खूब तनाव बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यूएनएससी में कश्मीर मुद्दे पर बातचीत से भारत असहज है और बैठक का विरोध कर रहा है।