
जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आंतकी हमले के गुनाहगार मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में भारत के मिशन को सफलता मिल सकती है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चीन के अड़ंगा डालने के बाद अब अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने खुद आगे बढ़कर इस पर काम करने का तय किया है।
ये तीनों देश अब चीन को पीछे छोड़ अन्य सदस्यों देशों से प्रस्ताव पर बात करेंगे साथ ही समिति पर भी दबाव डालेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन के दोहरेपन को लेकर भी उसे लताड़ लगाई है|
यह स्पष्ट नहीं है कि मसौदा प्रस्ताव पर मतदान कब होगा| इस पर चीन वीटो कर सकता है| परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ चीन शामिल है|
Related Article:Pakistan cracks down on terrorists outfits
चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान के आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित के प्रयास के विरोध में वीटो करता रहा है| पिछले दिनों भी चीन ने मसूद अजहर को बचा लिया था|
एक राजनयिक ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन के साथ 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है| प्रस्ताव में मसूद अजहर की यात्रा पर बैन, संपत्ति जब्त और हथियार बंदी की बात कही गई है|
कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुये एक आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे| इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया है| पुलवामा हमले को आतंकी मसूद अजहर के संगठन जैश ने अंजाम दिया था|
इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों का उत्पीड़न करता है लेकिन हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से ‘बचाता’ है| उनका इशारा चीन के उस कदम की ओर था जब उसने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना हाफिज सईद को “वैश्विक आतंकवादी” घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में अड़ंगा डाल दिया था|
Related Article:Terror attack at mosques in Christchurch, New Zealand claim 49 lives
पोम्पिओ ने बुधवार को मसूद अजहर का नाम लिये बिना ट्वीट किया, ‘दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती| एक ओर चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों पर अत्याचार करता है| वहीं दूसरी ओर वह हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है|’ जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा था| जिस पर चीन ने रोक लगा दी थी|
चीन ने दलील दी थी कि उसे इस विषय पर अध्ययन करने के लिये और समय चाहिये| चीन को छोड़कर सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देशों ने प्रस्ताव को स्वीकार किया था|
पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि चीन अप्रैल 2017 से शिनजियांग प्रांत में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाखों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में ले चुका है| उन्होंने कहा, ‘अमेरिका उनके और उनके परिवारों के साथ खड़ा है| चीन को हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करना चाहिए और उनके दमन को रोकना चाहिए|