यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के चुनाव प्रचार में भारतीय सेना को ‘मोदी जी की सेना’ कहा था। इसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने तो आपत्ति जताई ही, कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी आपत्ति जताते हुए कहा है कि सेना देश की होती है, किसी नेता की नहीं होती है। योगी अदित्यनाथ ने गाजियाबाद में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था की कांग्रेस के लोग आतंकवादियों को बिरयानी खिलाते हैं और मोदी जी की सेना आतंकवादियों को गोली और गोला देती है।
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क्या भारतीय सेना को ‘मोदी जी की सेना’ कहना उचित है। इस सवाल के जवाब में वीके सिंह ने बीबीसी को दिए खास इंटरव्यू में कहा की बीजेपी के प्रचार में सब लोग अपने आप को सेना भी बोलते हैं। लेकिन हम किस सेना की बात कर रहे हैं। क्या हम भारत की सेना की बात कर रहे हैं या पॉलिटकल वर्कर्स की बात कर रहे हैं? मुझे नहीं पता कि क्या संदर्भ है। अगर कोई कहता है कि भारत की सेना मोदी जी की सेना है तो वो गलत ही नहीं, वो देशद्रोही भी है। भारत की सेनाएं भारत की हैं, ये पॉलिटिकल पार्टी की नहीं हैं।
जनरल सिंह ने कहा ने कहा की भारत की सेनाएं तटस्थ हैं अपने आप के अंदर इस चीज़ में सक्षम हैं कि वो राजनीति से अलग रहें। पता नहीं कौन ऐसी बात कर रहा है। एक ही दो लोग हैं जिनके मन में ऐसी बातें आती हैं क्योंकि उनके पास तो कुछ और है ही नहीं। वीके सिंह ने ये भी कहा की भारत की सेना की बात करते हैं तो भारत की सेना की बात करो। अगर आप पॉलिटिकल वर्कर्स की बात करते हैं, जिसको कई बार हम मोदी जी की सेना या बीजेपी की सेना बोल सकते हैं। लेकिन उसमें और भारत की सेना फर्क है।
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वहीं दूसरी तरफ आज उत्तर प्रदेश में एक चुनावी सभा में केंद्र के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने भी भारतीये सेना को मोदीजी की सेना कह दिया और इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है. अब ये देखना है विरोधी पार्टियां इस भाषण को कैसे मुद्दा बनती है और निर्वाचन आयोग का क्या भूमिका रहती है |