
आज पूरी दुनिया महिला सशक्तिकरण की बात कर रही है। साथ ही हर काम में महिलाओं को पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला कर चलाने की बात हो रही हैं। भले ही महिला सशक्तिकरण के नाम पर नयी नयी स्कीम्स लांच हो रही हो और उनके प्रचार प्रसार के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हों मगर इन सब के बीच एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जो महिलाओं और पुरूषों के बीच की खाई को दर्शाती है।
ऑक्सफैम ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की जिसने भारतियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत की महिलाएं घर और बच्चों की देखभाल जैसे बिना भुगतान वाले जो काम करती हैं उसकी वैल्यू देश की जीडीपी के 3.1% के बराबर है। इस तरह के कामों में शहरी महिलाएं प्रतिदिन 312 मिनट और ग्रामीण महिलाएं 291 मिनट लगाती हैं। इसकी तुलना में शहरी क्षेत्र के पुरुष बिना भुगतान वाले कामों में सिर्फ 29 मिनट ही लगाते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले पुरुष 32 मिनट खर्च करते हैं|
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ऑक्सफैम एक फोरम है जो हर साल ‘दावोस सम्मेलन’ से पहले अपनी सर्वे रिपोर्ट जारी करता है जिस पर वर्ल्ड इकॉनोमी फोरम की बैठक बिस्तार से चर्चा करती है। अंतर्राष्ट्रीय समूह ऑक्सफैम ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक से पहले यह रिपोर्ट जारी की|
रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत दुनियाभर में आर्थिक असमानता बढ़ रही है। महिलाएं और लड़कियां इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को वेतन वाले काम मिलने के आसार कम रहते हैं। देश के 119 सदस्यीय अरबपति क्लब में सिर्फ 9 महिलाएं शामिल हैं।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के वेतन में काफी अंतर है। इसलिए, महिलाओं की कमाई पर निर्भर परिवार गरीब रह जाते हैं। देश में महिला-पुरुषों के वेतन में 34% का फर्क है। यह भी सामने आया है कि जाति, वर्ग, धर्म, आयु और लैंगि नजरिए जैसे कारक भी महिलाओं के प्रति असमानता को प्रभावित करते हैं।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स-2018 में भारत की 108वीं रैंकिंग का जिक्र भी किया गया है। साल 2006 के मुकाबले इसमें सिर्फ 10 पायदान की कमी आई है। इस मामले में भारत पड़ोसी देश चीन और बांग्लादेश से पीछे है। ग्लोबल एवरेज के मुकाबले भारत की रैंकिंग काफी कम है।
ऑक्सफैम ने कहा कि भारत में कई कानून हैं जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटते हैं, लेकिन उनको लागू करना