नोएडा: ICAN4 का तीसरा दिन ‘ फैक्ट चेकिंग’ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर मास्टर क्लास 2 के साथ शुरू हुआ। सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों को खारिज करने और छुटकारा पाने के लिए एक वेबसाइट SMhoaxSlayer के संस्थापक और मालिक श्री पंकज जैन के साथ इस सत्र की शुरुआत हुई।
प्रोफेसर और डीन, डीएमई मीडिया स्कूल और ICAN4 के संयोजक डॉ अंबरीष सक्सेना ने बताया कि विशेष तौर पर COVID-19 के समय में तथ्यों और डाटा सम्बन्धी हेराफेरी व्यापक रूप से देखने को मिली है। उन्होंने कहा, “गलत सूचना और दुष्प्रचार के खतरे से निपटने के लिए मीडिया साक्षरता और तथ्यों के सत्यापन की बेहद आवश्यकता है।”
श्री पंकज जैन ने विस्तार से बताया कि कैसे गूगल रिवर्स इमेज सर्च, गूगल कस्टम सर्च, हायर इमेज रेजोल्यूशन, ट्विटर एडवांस्ड सर्च, इनविड, डीप फेक और जैसे टूल के उपयोग से समाचारों, चित्रों, ट्वीट्स और यूट्यूब सम्बन्धी तथ्यों को सत्यापित किया जा सकता है।
फेक न्यूज के खिलाफ कानूनों पर सवालों के जवाब देते हुए, श्री पंकज ने कहा, “हालांकि कुछ कानून मौजूद हैं लेकिन केवल सतर्कता और जागरूकता ही फर्जी खबरों के प्रसार को पूर्ण रूप से रोक सकती है”। श्री जैन ने तथ्य-जांच में मीडिया घरानों की भूमिका पर एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि “हालांकि मीडिया घरानों की अपनी तथ्य-जांच करने वाली टीमें होती हैं लेकिन उनमें काम करने वालों में अधिकतर युवा इंटर्न होते हैं और अनुभवी लोगों का अभाव होता है, परिणामस्वरूप, कई बार भ्रामक सूचनाएं प्रसारित हो जाती हैं और लोग उन पर विश्वास कर लेते हैं”।
डॉ सुस्मिता बाला, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, डीएमई मीडिया स्कूल ने COVID-19 के इस कठिन समय में विशेष रूप से सभी को आगाह करते हुए कहा कि एक मीडियाकर्मी के तौर पर जानकारी की क्रॉस-चेकिंग करना अत्यंत आवश्यक है। सत्र का संचालन डीएमई मीडिया स्कूल के सहायक प्रोफेसर मोहित किशोर वत्स ने किया। डीएमई मीडिया स्कूल के छात्र श्री अभिषेक मिश्रा ने सत्र की एंकरिंग की।
तकनीकी सत्र -2
‘सिनेमा और सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से संचार’ विषय पर तकनीकी सत्र 2, दिन का दूसरा सत्र था जिसकी अध्यक्षता टीवी प्रोडक्शन, निर्देशन और पटकथा विशेषज्ञ और मुंबई और पुणे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर कार्यरत डॉ अनीता परिहार ने की। सत्र की सह-अध्यक्ष के तौर पर सुश्री मनमीत कौर, सहायक प्रोफेसर, डीएमई मीडिया स्कूल ने सत्र का संचालन किया।
सत्र में भारतीय न्यू वेव सिनेमा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, हिंदी सिनेमा में मुद्दे और रुझान, सिनेमा और सामाजिक परिवर्तन, सीबीएफसी प्रमाण पत्र के साथ फिल्मों पर पुनर्निरीक्षण शक्तियों का केंद्र आदि सम्बंधित शोध विषयों पर चर्चा की गयी।
सत्र की शुरुआत करते हुए, डॉ अंबरीष सक्सेना ने कहा कि देश के मौजूदा भू-राजनीतिक और सामाजिक हालात के मद्देनज़र, मीडिया संचार के एक चैनल के रूप में सिनेमा की प्रासंगिकता और प्रभाव को कम करके नहीं देखा जा सकता है। सिनेमा आने वाले वर्षों के लिए परिवर्तन का स्रोत और अग्रदूत है।
इतने बड़े पैमाने पर आयोजित सम्मेलन की सराहना करते करके हुए, डॉ परिहार ने कहा, “ICAN ज्ञान को जीवंत कर देने वाले सम्मलेन के तौर पर एक बेंचमार्क बन चुका है। मीडिया शिक्षकों और मीडिया पेशेवरों के रूप में इस प्रकार के सम्मेलनों में भाग लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
डॉ सुस्मिता बाला ने शोधकर्ताओं द्वारा की गयी कड़ी मेहनत की सराहना करते हुए डॉ अनीता परिहार द्वारा दिए गए बहुमूल्य सुझावों को शामिल करने की सलाह दी।
प्रथम वर्ष की छात्रा हनी खुराना ने सत्र का संचालन किया।
मास्टर क्लास-3
डॉ उमा शंकर पांडे, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, सुरेंद्रनाथ कॉलेज फॉर विमेन, कलकत्ता विश्वविद्यालय और आईएएमसीआर के भारतीय राजदूत द्वारा ICAN 4 की मास्टर क्लास 3 का आयोजन किया गया। मास्टर क्लास 3 का विषय ‘पत्रकारिता में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ बेहद प्रासंगिक विषय माना जाता है और डॉ पांडे ने खुलकर इस विषय पर अपने विचार रखते हुए लोगों की ज्ञान सम्बन्धी जिज्ञासाओं को शांत किया।
डॉ पांडे ने पत्रकारिता के संदर्भ में एक सर्वेक्षण के साथ सत्र की शुरुआत की और फिर पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से ज्ञानवर्धन किया। उन्होंने स्वचालित सामग्री, स्वचालन संपादकों, एल्गोरिथम के उपयोग और एआई की नैतिकता सम्बन्धी विषयों पर विस्तृत रूप से अपने विचार प्रस्तुत किये।
डॉ पांडे ने कहा, “आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को नौकरियों के लिए खतरा माना जाता है, लेकिन इसके लाभों को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि सीमित दायरे में उपयोग करने पर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस चमत्कार कर सकती है। यह एक शब्द से कविताएँ बना सकती है, कम प्रयासों में पर्याप्त चित्र खोजने में सक्षम बनाती है और यहाँ तक कि पत्रकारिता के क्षेत्र में भी इसका दायरा अंतहीन है।
डॉ सक्सेना ने एआई जैसी अवधारणाओं पर चर्चा करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उस समय को याद किया जब लोग कंप्यूटर का उपयोग करने के लिए अनिच्छुक थे। उन्होंने कहा, “लोग डरते थे कि कंप्यूटर आने के बाद कोई नौकरी नहीं होगी, लेकिन अब कहानी अलग है। इसलिए भविष्य की तकनीकों पर विचार-विमर्श करना महत्वपूर्ण है।”
डॉ सुस्मिता बाला, डॉ उमा शंकर पांडे से सहमत थीं कि एआई इंसानों के लिए कोई खतरा नहीं है। डीएमई मीडिया स्कूल के सहायक प्रोफेसर श्री प्रमोद कुमार पांडे ने सत्र का संचालन किया और प्रथम वर्ष की छात्रा दिव्याश्री ने सत्र में एंकरिंग की।
पैनल चर्चा- 1
इससे पहले, सम्मेलन का दूसरा दिन वर्तमान परिदृश्य के सबसे उपयुक्त विषय पर पैनल डिस्कशन -1 के साथ संपन्न हुआ। चर्चा का विषय ‘जूम पर लोग: ऑनलाइन लर्निंग के सामाजिक निहितार्थ’ था जिसका संचालन एसोसिएट प्रोफेसर, ओहियो विश्वविद्यालय, निदेशक, इंटरनेशनल जर्नलिज्म, ईडब्ल्यू स्क्रिप्स स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, ओहियो यूनिवर्सिटी, यूएसए के डॉ जतिन श्रीवास्तव द्वारा किया गया। पैनल में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के नामचीन संस्थानों के प्रख्यात शिक्षाविद शामिल थे जिनमें मलेशिया की डॉ शेरोन विल्सन, सहायक प्रोफेसर, विश्वविद्यालय टुंकू अब्दुल रहमान, मलेशिया; भारत के डॉ आनंद प्रधान, प्रोफेसर, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली, भारत और घाना के श्री जकारिया टांको मुसाह, व्याख्याता/कानूनी व्यवसायी, घाना पत्रकारिता संस्थान, घाना शामिल थे।
प्रो (डॉ) अंबरीष सक्सेना ने सत्र की शुरुआत करते हुए कहा, “यही विषय है, यहां मौजूद हर कोई खुद को इससे जुड़ा हुआ महसूस कर रहा है । हम भारत में ऑनलाइन शिक्षण में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। लेकिन हमने अपने शिक्षण को और बेहतर बनाने के लिए नवीनतम तकनीकी नवाचारों को अपनाना सीख लिया है।”
पैनल ने ऑनलाइन शिक्षण की चुनौतियों पर चर्चा हुई जिसमें प्रत्येक पैनलिस्ट ने ऑनलाइन शिक्षण के अपने-अपने अनुभव साझा किये। मेंटर और मेंटी के रिश्तों में आये परिवर्तन भी इस चर्चा का विषय बने रहे।
एक शिक्षक की बदलती भूमिका के बारे में बात करते हुए डॉ शेरोन ने कहा, “ऑनलाइन शिक्षण के साथ, हमारी भूमिका एक शिक्षक से तकनीशियन और परामर्शदाता का रूप ले चुकी है। हम छात्रों की दैनिक तकनीकी परेशानियों का समाधान देने के अतिरिक्त शिक्षण के ऑनलाइन मोड और उसके समायोजन पर भी उन्हें परामर्श दे रहे हैं”।
डॉ प्रधान ने पारम्परिक कक्षा शिक्षण का यह कहते हुए समर्थन किया कि कक्षा एक मुक्त स्थान है जहाँ शिक्षण न केवल पाठ्यक्रम तक सीमित रहता है अपितु कक्षा में विभिन्न मुद्दों पर की गयी चर्चाएं भी छात्रों को ज्ञान अर्जित करने में मदद करती हैं । ऑनलाइन शिक्षण में यही सबसे बड़ी बाधा है।
श्री जकारिया ने बदलाव के लिए छात्रों को तैयार करने की संभावनाओं को देखते हुए कहा, “हमें ऐसी नीति के साथ आना होगा जो ऑनलाइन शिक्षण के अनुकूल हो। हमें उन्हें ऐसा कौशल प्रदान करने पर विचार करना होगा जो इस बदलाव के समय में उन्हें आगे आने में सहायक साबित हो ।”
डॉ जतिन श्रीवास्तव ने अमेरिका में छात्रों और शिक्षकों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने आर्थिक बाधाओं और संस्थाओं के लिए संसाधनों के गैर-बराबर आवंटन को अमेरिका में ऑनलाइन शिक्षण का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू बताया।
डॉ सुस्मिता बाला ने अपनी समापन टिप्पणी में अधिकांश पैनलिस्टों के विचारों से सहमति व्यक्त की और कहा कि यह कठिन समय है और हमें हर उपलब्ध संभावना का अधिकतम लाभ उठाना है।
विभिन्न सत्रों के संचालन में डीएमई मीडिया स्कूल के अभिषेक बजाज, इशिका वधवा, ख़ुशी चौधरी, श्रिया सिंह और मेघना बख्शी का अहम योगदान रहा।
Contact Person
Mohd Kamil
Assistant Professor, DME Media School
Phone: 91-9026058885
Email: m.kamil@dme.ac.in
For more details
https://ican.dme.ac.in/
https://www.facebook.com/ican.dme
https://www.instagram.com/ican.dme/
