एक ओर देश में यौन उत्पीड़न के खिलाफ छिड़ी जंग #मीटू अभियान का असर पुरे शबाब पर है वहीँ, दूसरी ओर महिला की सुरक्षा के लिए बनी राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) में लम्बे अरसे से पांच सदस्यों के पद खाली पड़े है|
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 58 करोड़ से अधिक महिलाओं की हितो की रक्षा की ज़िम्मेदारी अकेले आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा संभाल रही है| ऐसे हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक ‘बेटी बचाओं और बेटी पढाओं’ की हकीकत का अंदाजा लगा सकते है|
दरअसल, राष्ट्रीय महिला आयोग के तहत एक अध्यक्ष और 5 सदस्यों के पदों का प्रावधान है लेकिन वर्तमान में केवल आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ही सारा कार्यभार संभाल रही है| पांच सदस्यों में से दो पदों को अनुसूचित जाति (अनुसूचित जाति) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आयोग के पास सबसे हाशिए वाले समुदायों से शिकायतें संभालने के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व है|
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इस बात की जानकारी सरकार को है| यहाँ तक कि सरकार से सदस्यों की नियुक्ति को लेकर विभागीय पत्राचार के माध्यम से सूचित किया जा चूका है परन्तु अब तक सरकार ने लम्बे अरसे से रिक्त पड़े पदों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है जो सरकार की उदासीनता को बयां करती है|
बता दें घरेलू हिंसा और अन्य शिकायतों को संभालने के अलावा #मीटू आंदोलन के दौरान यौन उत्पीड़न की शिकायतों के फैसले के साथ एनसीडब्ल्यू ने हाल ही में ऐसे मामलों को संभालने के लिए एक ईमेल पता (ncw.metoo@gmail.com) की घोषणा की थी| कार्यस्थल (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत महिलाओं के यौन उत्पीड़न के संभावित विधायी संशोधनों पर कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज के हितधारकों के साथ परामर्श करना भी निर्धारित है|
राष्ट्रीय महिला आयोग में रिक्त पड़े पदों पर जब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्लूसीडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की गई तब उन्होंने कहा कि सदस्यों को नियुक्त करने को लेकर एक प्रस्ताव प्रक्रिया में है और पद जल्द ही भर जायेंगे| रिक्त पदों के बारे में एनसीडब्लू अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि रिक्त पदों की वजह से वर्क लोड बढ़ गया है| नियुक्ति का मुद्दा पीएम और डब्लूसीडी द्वारा संभाला जाता है| उन्होंने बताया कि सभी पञ्च सदयों की प्रक्रिया अंतिम चरण में है|
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कहना है कि पिछले चार सालों से यहाँ पद खाली पड़े है| मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि साल 2015 से लंबित एनसीडब्ल्यू नियुक्तियों के अलावा अप्रैल 2015 से पीएमओ के साथ महिला मसौदा विधेयक के लिए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आयोग लंबित है| अरुण जेटली के मंत्रियों के समूह ने आयोग को मजबूत करने के लिए मसौदे विधेयक को मंजूरी दी थी लेकिन इस मसले पर बिल अभी तक संसद के सामने पेश नहीं किया गया है|

