
दिल्ली के शाहीनबाग आंदोलन से प्रेरित महिलाओं के जज्बे बहुत बुलंद हैं. महिलाओं की आवाज की गूंज से अब नागपुर का जाफरनगर ईदगाह ग्राउंड भी शाहीनबाग में तब्दील होता जा रहा है। पिछले ३ दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) समेत राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन (एनआरसी) तथा राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (एनपीआर) के विरोध में महिलाएं जाफरनगर के ईदगाह ग्राउंड में धरने पर बैठी हैं।
धरने पर बैठी महिलाएं सुबह सवेरे ही घर के सारे काम निपटाकर धरना स्थल पहुंच जाती हैं. घरेलू काम को त्याग कर, बच्चों को स्कूल भेजने के लिए वे उन्हें धरना स्थल पर ही तैयार कर रही हैं. बच्चों के साथ ही खाने का टिफिन भी ले आती हैं, खुद भी यहीं भोजन कर रहीं हैं. उनका कहना है की यह धरना ३ दिंनो से चल रहा है और २३ जनवरी तक जारी रहेगा।
इस आंदोलन में सभी धर्मों के लोग व महिलाएं भी शामिल हो रही हैं इस दौरान नागरिकता संशोधन कानून को देश का काला कानून बताते हुए कुछ छात्राओं ने आजादी के नारे लगाए।आंदोलन में मंगलवार को बौद्ध भन्तो ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
इस दौरान धरने मे मुख्य रूप से अधि जनार्दन मून, दीपक याभने, सुबोध, देवानंद देवगड़े, अरुण लाटकर, आकाश खोबागड़े, आरिफ, गौरी, हारून, जैसे लोग भी उपस्थित थे।
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मुख्य प्रवक्ता ने एनआरसी, सीएए और एनपीआर के बारे मे बताया, उन्होने कहा कि मोदी सरकार हमारे देश और देश के अल्पसंख्यकों के साथ गलत कर रही है। यह काला कानून जबरन नागरिको पर थोपा जा रहा है, उनके पास राज्य सभा में पूण बहुमत होने पर कानून बनाकर अपनी मनमानी करते हुए देश की जनता को बांटने का काम कर रही है। गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महगाई, बेरोजगारी पर विचार विमर्श करने के बजाय मोदी सरकार जाति के नाम पर नागरिकों को बांट रही है।
दिल्ली के शाहीन बाग में धरने की तर्ज पर जाफर नगर के ईदगाह ग्राउजंड मे नागपुर पीस ऑर्गनाइजेशन द्वारा धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। घरने पर बैठ महिलाओं ने कहा की शाहीन बाग की महिलाओं ने अपने संवैधानिक अधिकार के लिए जो लड़ाई लड़ी है, उसे इतिहास याद रखेगा।शाहीन बाग की महिलायें प्रेरणा बनी हैं। यह आंदोलन भी उसी तर्ज पर जारी रहेगा।