
हर साल 31 मई को दुनियाभर में तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है और तम्बाकू से दूर रहने की नसीहत दी जाती है| इस वर्ष का विषय है ‘तम्बाकू-विकास के लिए खतरा’ जो तम्बाकू के इस्तेमाल, तम्बाकू नियंत्रण और सतत् विकास के बीच के संबंध को रेखांकित करता है|
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक प्रति वर्ष प्रत्यक्ष तम्बाकू के इस्तेमाल/तम्बाकू के धूएं से लगभग छह मिलियन लोगों की मृत्यु होती है और यह अधिकतर एनसीडी के लिए प्रमुख खतरे का कारक है| इसके अलावा संक्रमण की बीमारियों में से श्वसन संक्रमण और तपेदिक की वजह से लगभग 4–5 प्रतिशत मृत्यु दर का कारण तम्बाकू सेवन है| माना जाता है कि 2030 तक तम्बाकू से संबंधित बीमारियों के कारण मृत्यु दर लगभग 8 मिलियन होगी|
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में अभी भी मृत्यु दर सबसे महत्वपूर्ण कारण धूम्रपान है| सिगरेट के धूएं में मौजूद विषाक्त पदार्थ से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और डीएनए को नुकसान पहुंचता है जिससे कैंसर/ट्यूमर जैसी बड़ी बिमारी होने का खतरा बढ़ जाता है| सिगरेट के धूएं से प्रभावित होने वाले अन्य लोगों के हृदयवाहिनी प्रणाली पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे उनमें कोरोनरी हृदय रोग/ स्ट्रोक हो जाते हैं| सिगरेट के धूएं के कारण शिशुओं/बच्चों को बार-बार/ गंभीर अस्थमा के दौरे पड़ते हैं, श्वसन/कान संक्रमण होता है और शिशु की अचानक मृत्यु हो सकती है|
भारत में सिगरेट सेवन करने वालो की संख्या 10 करोड़ से अधिक
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2016-17) के मुताबिक़ भारत में सिगरेट पीने वालों की संख्या 10 करोड़ से ज़्यादा है| इनमें से 163.7 मिलियन लोग धुआं रहित तम्बाकू (एसएलटी), 68.9 मिलियन धूम्रपान करते हैं और 42.3 मिलियन दोनों का इस्तेमाल करते हैं| एसएलटी का इस्तेमाल विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र (वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण, 2009-10) में अधिक किया जाता है|
‘ग्लोबल अडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण’ 2016-17 के रिपोर्ट के अनुसार, भारत में धुआं रहित तंबाकू का सेवन धूम्रपान से कहीं अधिक है| वर्तमान में 42.4 फीसदी पुरुष, 14.2 फीसदी महिलाएं और सभी वयस्कों में 28.8 फीसदी धूम्रपान करते हैं या फिर धुआं रहित तम्बाकू का उपयोग करते हैं|
देश में बढ़ते तम्बाकू सेवन व धुम्रपान के मामलों में राजधानी दिल्ली का नाम सबसे ख़राब है जहाँ लगभग अब कोई भी नॉन स्मोकर नहीं रह गया है| बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि कोई भी नॉन-स्मोकर नहीं बचा है| हर आदमी इतनी प्रदूषित हवा ग्रहण कर रहा है जो 20 से 25 सिगरेट पीने के बराबर है|
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के लंग्स सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉ. अरविंद कुमार का कहना हा कि राजधानी की हवा सांस लेने लायक़ नहीं है और अब दिल्ली शहर में कोई भी व्यक्ति नॉन स्मोकर नहीं हैं| आगे उन्होंने कहा, ‘दिल्ली शहर में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 360 से ऊपर है जो 20 से 25 सिगरेट पीने के बराबर है|
2003 में भारत सरकार ने बनाये थे नियम
लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2003 में भारत सरकार ने सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन पर प्रतिबंध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण का नियमन) अधिनियम लागू किया था जिसमें साल 2014 में संशोधन किया गया था| इसमें सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने पर प्रतिबंध, विज्ञापन और नाबालिगों/शैक्षिक संस्थानों के नजदीक तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक, तम्बाकू उत्पादों के पैकेट पर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी तथा उत्पाद में टार/निकोटीन के भाग को नियंत्रित करने का प्रावधान है|